किसी शहर में एक लड़का अपने बूढ़े पिता के साथ रहता था, वह रोजाना पिता के खाने-पीने का इंतजाम करके ऑफिस चला जाता था, पिता दिनभर घर पर अकेला रहता था, एक दिन जब बेटा ऑफिस से घर आया तो उसने सोचा……
एक परिवार में एक पिता और बेटा रहता था। दोनों का एक-दूसरे के अलावा कोई नहीं था। उसके पिता बहुत बूढ़े हो चुके थे। वह लड़का हर रोज अपने पिता का खाने-पीने का इंतजाम करके ऑफिस चला जाता था और उसके बुजुर्ग पिता दिनभर घर पर अकेले ही रहते थे। एक दिन जब बेटा ऑफिस से घर लौटा तो उसने सोचा कि पिताजी हर रोज घर में अकेले रहते हुए बोर हो जाते होंगे। आज कहीं बाहर रेस्टोरेंट में जाकर खाना खाते हैं। पिता भी बाहर खाना खाने के लिए राजी हो गए।
बेटा अपने पिता के साथ रेस्टोरेंट गया। डिनर के दौरान बुजुर्ग पिता ने कई बार अपने कपड़ों पर खाना गिराया। लेकिन बेटा बिल्कुल शांत बैठा था। सभी लोग बुजुर्ग को ही देख रहे थे। खाना खाने के बाद बेटा अपने पिता को बिना किसी शर्म के वॉशरूम ले गया। फिर उनके कपड़े साफ किए, चेहरा साफ किया, उनके बालों में कंघी की, चश्मा पहनाया और बाहर लेकर आया। तब भी सभी लोग उनको ही देख रहे थे।
बेटे ने बिल चुकाया और अपने पिता को लेकर रेस्टोरेंट्स से बाहर निकलने लगा। तभी एक अन्य वृद्ध ने उस लड़के को आवाज दी और अपने पास बुलाया। वृद्ध ने उससे पूछा- क्या तुम्हें नहीं लगता कि यहां तुम अपने पीछे कुछ छोड़कर जा रहे हो? बेटे ने जवाब दिया- नहीं सर, मैं कुछ भी नहीं छोड़कर जा रहा हूं। तब वृद्ध ने कहा- बेटे तुम्हें छोड़कर जा रहे हो, वह हर पुत्र के लिए सबक और पिता के लिए उम्मीद है। उस लड़के ने बहुत आदर के साथ कहा कि मेरे पिता ने बचपन में मेरा ऐसे ही ख्याल रखा होगा, तो आज मेरा फर्ज बनता है कि मैं उनका ख्याल रखूं। इसके बाद बेटा अपने पिता को लेकर वहां से चला गया।
लाइफ मैनेजमेंट
अक्सर बच्चे अपने माता-पिता के बूढ़ा होने के बाद उनके साथ कहीं जाने में संकोच करते हैं। वे उनकी जिम्मेदारी नहीं उठाना चाहते। लेकिन बच्चे यह भूल जाते हैं कि जब वे छोटे थे तो माता-पिता ने उनका ऐसे ही ख्याल रखा था, तो अब उनका फर्ज बनता है कि अब उन्हें अपने माता-पिता का सहारा बनना चाहिए।