किसी शहर में एक सेठ रहता था, उसकी एक बेटी थी, उसने अपनी बेटी की शादी एक अमीर घर में करी, लड़की का पति जुआ खेलने का आदि था, उसने सारी संपत्ति हुए में गवां दी, अपनी बेटी की ऐसी हालत देखकर सेठानी रोज सेठ से कहती…….
किसी शहर में एक सेठ रहते थे, जिनकी एक ही बेटी थी। सेठ ने अपनी बेटी की शादी बहुत ही अमीर घर में की। लेकिन उसका पति जुआरी बन गया और सारी संपत्ति धीरे-धीरे उसने जुए में गवां दी। अपनी बेटी की यह हालत देखकर सेठानी रोज सेठ से कहती थी कि आप सबकी मदद करते हैं, लेकिन अपनी बेटी की मदद क्यों नहीं करते? सेठ हमेशा सेठानी से यही कहते थे कि उसी पैसे से उनका भाग्य उदय होगा, जो वे खुद कम आएंगे। हमारे देने से उनका कुछ नहीं होगा।
एक दिन सेठानी के दामाद घर पर आए, उस समय सेठ जी घर पर नहीं थे। सास ने अपने दामाद का बहुत आदर सत्कार किया और सोचा कि मैं अपनी बेटी की मदद करूं। इसके बाद उसने लड्डू की टोकरी में सोने के सिक्के छिपा दिए। टोकरी अपने दामाद को दे दी।
लेकिन जब दामाद लड्डू लेकर घर जा रहा था तो दामाद ने सोचा कि इतना वजन लेकर घर तक कौन जाएगा? उसने रास्ते में मिठाई की दुकान पर सारे लड्डू बेच दिए। जब सेठ शाम को घर जा रहा था तो उनकी इच्छा मिठाई खाने की हुई। सेठ संयोगवश उस दुकान पर पहुंच गए, जहां उनके दामाद लड्डू की टोकरी बेच कर गए थे और वही लड्डू की टोकरी भी सेठ ने खरीद ली। इसके बाद जब सेठ लड्डू की टोकरी लेकर घर गए, तो सेठानी ने टोकरी देखी तो वह हैरान रह गई।
सेठानी को टोकरी से सोने के सिक्के भी मिले। फिर सेठ ने सेठानी को बताया कि यह तो उन्होंने मिठाई उन्होंने दुकान से खरीदी है। सेठ सेठानी की पूरी बात समझ गए और उनसे कहा कि यह सिक्के दामाद की मेहनत से कमाए हुए नहीं थे। इस वजह से उन्हें नहीं मिले। हमें हमेशा अपनी मेहनत से कमाना चाहिए।
लाइफ मैनेजमेंट
कुछ लोग हमेशा दूसरों के धन पर नजरें बनाए रखते हैं और सोचते हैं कि उनके पैसे मेरे पास आ जाएं। लेकिन वह ये भूल जाते हैं कि किसी ने यह पैसे मेहनत से कमाई होंगे। दूसरों के पैसों से कभी बरकत नहीं होती, क्योंकि उनको कमाने में हमने मेहनत नहीं की होती।