किस्सा; एक दिन भगत सिंह के पिता सरदार किशन सिंह और उनके दोस्त नंदकिशोर मेहता खेत पर काम करते हुए बातें कर रहे थे, उसी समय नंदकिशोर मेहता का ध्यान बालक भगत सिंह की तरफ गया…….
भगत सिंह के बचपन से जुड़ा किस्सा है। एक दिन भगत सिंह के पिता सरदार किशन सिंह और उनके दोस्त नंदकिशोर मेहता खेत पर बातें कर रहे थे। उस समय नंदकिशोर मेहता का ध्यान बालक भगत सिंह की ओर चला गया।
बालक भगत सिंह छोटी-छोटी सींख, छोटी-छोटी लकड़ियां खेत में गाड़ रहा था और मिट्टी का एक ढेर बना लिया था। नंदकिशोर मेहता ने किशन सिंह से कहा कि मैं इस बच्चे से कुछ बात करके आता हूं।
नंदकिशोर मेहता ने भगत सिंह से पूछा, ‘तुम सरदार किशन सिंह जी के बेटे हो?
भगत सिंह ने अपना नाम बताया, प्रणाम किया और कहा, ‘हां।’
मेहता जी ने पूछा, ‘तुम खेत में ये क्या गाड़ रहे हो?’ मेहता जी ने सोचा बच्चे का जवाब आएगा कि मैं खेल रहा हूं, लकड़ियां गाड़ रहा हूं, लेकिन बच्चे का उत्तर सुनकर वे भी हैरान हो गए और पीछे खड़े सरदार किशन सिंह भी।
भगत सिंह ने कहा था, ‘मैं बंदूकें गाड़ रहा हूं।’
मेहता जी ने फिर पूछा, ‘तुम जानते हो, इसका मतलब?’
भगत सिंह बोले, ‘मैं जानता हूं। हमारा देश गुलाम है और हमें आजादी के लिए शस्त्र उठाना पड़ेगा। जिस दिन मेरा वश चला, मैं इन्हीं शस्त्रों से इन अंग्रेजों को भगा दूंगा।’
मेहता जी ने पूछा, ‘तुम्हारा धर्म क्या है?’
बालक ने कहा, ‘देश ही मेरा धर्म है।’
ये बातें सुनकर मेहता जी ने किशन सिंह से कहा, ‘बचपन में इस बच्चे के विचार ऐसे क्रांतिकारी है तो आप इसके पालन-पोषण में और इसकी गतिविधियों पर विशेष नजर रखें। आपका सारा ध्यान ऐसा होना चाहिए कि इसके अंदर की ये प्रतिभा निखरकर आए। ये ऊर्जा कहीं और न बह जाए।’
बाद में ऐसा ही हुआ। दुनिया भगत सिंह को जानती है और पूजती भी है।
सीख – बच्चे के बचपन से ही माता-पिता को उसकी गतिविधियों पर नजर रखनी चाहिए। बच्चे की प्रतिभा को पहचानें और उसे निखारें। इस बात का ध्यान रखेंगे तो बच्चा भविष्य में कामयाब इंसान जरूर बनेगा।