कैसे बीन की धुन सुनते ही नाचने लगते हैं सांप, जबकि उसके कान नहीं होते हैं
दुनिया भर में सांपों की कई तरह की प्रजातियां पाई जाती हैं। हम इंसान तो पृथ्वी पर आज से करीब सात लाख से पहले आए हैं। लेकिन ये बेज़ुबां जानवर हमसे लाखों साल पहले से इस पृथ्वी पर मौजूद हैं। यू कहें तो हम आज जिस भी स्थान पर रहते हैं वो इन्हीं बेज़ुबानों की देन है। लोगों का कहना हैं कि सांपों की दुनिया रहस्यों से भरी हुई हैं। हर देश में इन्हें लेकर अपनी-अपनी मान्यताएं है। भारत में भी इनकी विशेष मान्यताएं हैं। सनातन धर्म में इन्हें भगवान भोलेनाथ के गले का हार बताया गया है। सांपों से जुड़े कई तथ्यों को वैगयानिकों ने दुनिया भर को बताया है। आज हम ऐसे ही एक तथ्य के बारे में जानेंगे।
ऐसा कहा जाता है कि सांप बीन की धुन सुनते ही मदहोश होकर नाचने लगते हैं। लेकिन हम आपको बता दें कि सांप पूरी तरह से बहरे होते हैं। जी हां, सांप किसी भी आवाज को सुन नहीं सकते हैं। आपने देखा होगा कि सांपों के शरीर पर कान नहीं होते हैं। दरअसल सांप कभी बीन की धुन पर नहीं नाचते हैं, बल्कि जब सपेरा बीन बजाते समय बीन को हिलाता है सांप उसे देखकर अपने शरीर को हिलाने लगते हैं जो कि एक सामान्य घटना है। आपने देखा होगा कि सपेरों की बीन पर ढेर सारे कांच के टुकड़े लगे होते हैं। जब उन टुकड़ों पर धूप या कोई रोशनी पड़ती है तो उससे निकलने वाली चमक से सांप हरकत में आ जाते हैं। सांप उस रोशनी का पीछा करते हैं और उसी तरफ हिलने लगते है। ऐसे में हमें लगता है कि वो बीन की धुन पर नाच रहें हैं जबकि ऐसा नहीं है।
बता दें कि सांप कानों की जगह किसी भी गतिविधि को भांपने के लिए अपनी त्वचा का इस्तेमाल करते हैं। अपने आस-पास होने वाली किसी भी गतिविधियों को अपनी त्वचा पर पड़ने वाली तरंगों से पहचान लेते हैं। ऐसे में सांपों को किसी भी खतरे का आभास होते ही वो अपने फन को फैला लेते हैं।