क्या आप जानते हैं क्या होता है इंटरनेशनल वारंट और किस तरह काम करता है इंटरपोल
इंटरपोल यानी कि इंटरनेशनल क्रिमिनल पुलिस ऑर्गेनाइजेशन एक संस्था है। यह संस्था इंटरनेशनल लेवल पर पुलिस के बीच समन्वय का काम करती है। यह संस्था उन दो देशों के बीच समन्वय का काम करता है जो देश इस संस्था के सदस्य होते हैं। 192 देश इंटरपोल के सदस्य हैं।
जब किसी देश का अपराधी दूसरे देश में जाकर छिप जाता है तो अंतरराष्ट्रीय इंटरनेशनल रूल के मुताबिक उस देश की पुलिस दूसरे देश में जाकर अपराधी को नहीं पकड़ सकती। इंटरपोल को अपराधियों का पता लगाने का अधिकार है। सभी देशों में इंटरपोल के कुछ कर्मचारी होते हैं। हर साल अलग-अलग देशों की राजधानियों में इंटरपोल के प्रमुख अधिकारियों की बैठक होती रहती है।
160 भारतीय लोग इंटरपोल की वेबसाइट पर मोस्टवांटेड लोगों की लिस्ट में शामिल है। इंटरपोल 8 तरह के नोटिस जारी कर सकता है।
यह संस्था नोटिस सूचना के आदान-प्रदान की पद्धति है। इंटरपोल से जुड़ा देश इंटरनेशनल लेवल पर सहयोग, सचेत करने का आवेदन करता है तो राष्ट्रीय सेंट्रल ब्यूरो के आग्रह पर ही इस संस्था का जनरल सेक्रेट्री एक नोटिस जारी करता है। आप अलग-अलग रंगों से इंटरपोल के नोटिस जान सकते हैं।
लाल रंग का नोटिस यानी कि किसी अपराधी की गिरफ्तारी या फिर उसके प्रत्यर्पण के लिए होता है।
नीले रंग का नोटिस किसी के बारे में एक्स्ट्रा इंफॉर्मेशन देने या पाने के लिए जारी होता है।
हरे रंग का नोटिस उन लोगों के लिए जारी होता है जो अपराध कर चुके हैं या फिर किसी दूसरे देश में जाकर अपराध कर सकते हैं।
पीले रंग का नोटिस साधारण तौर पर नाबालिगों के बारे में सूचना देने के लिए जारी होता है।
किसी लाश की शिनाख्त न होने पर काले रंग का नोटिस जारी किया जाता है।
बमों, पार्सल बमों आदि इंफॉर्मेशन देने के लिए इंटरपोल नारंगी नोटिस जारी करता है।
अपराध के तरीके वस्तुएं, डिवाइस एवं अपराधियों द्वारा बचने के लिए उपयोग किए गए तरीकों के इस्तेमाल के लिए बैगनी रंग का नोटिस जारी किया जाता है।
इंटरपोल के पास तीन तरह के अपराधों के लिए अपनी पुलिस विशेषज्ञता एवं क्षमताओं का इस्तेमाल करने का अधिकार है।
काउंटर-टेरेरिज्म
साइबर अपराध
संगठित अपराध
इंटरपोल के तथ्य
192 देश इंटरपोल के सदस्य हैं। इंटरपोल की वांटेड लिस्ट में 160 भारतीय लोग शामिल है। 650 भारतीय इंटरपोल की सूची में है। इंटरपोल का 1 साल का बजट 942 करोड रुपए है। 1949 में भारत ने इंटरपोल की सदस्यता ग्रहण की थी।
फर्स्ट वर्ल्ड वॉर के बाद यूरोप में अपराधियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही थी। ऑस्ट्रिया के अपराधी दूसरे देशों में चले गए। इंटरनेशनल रूल के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया की पुलिस दूसरे देश में जाकर अपराधियों को नहीं पकड़ सकती थी। इन अपराधियों को पकड़ने के लिए 1923 में कई देशों के पुलिस अधिकारियों की वियाना में बड़ी बैठक हुई। इसके बाद ही 20 देशों ने मिलकर इंटरपोल का निर्माण किया। 1923 में इंटरपोल की स्थापना हुई। 1938 में जर्मनी ने ऑस्ट्रिया पर हमला कर दिया जिससे इंटरपोल खत्म हो गई। दूसरे वर्ल्ड वॉर के बाद फिर से इंटरपोल जीवित हुआ।