क्या आप जानते हैं PIN CODE क्या है, किसने बनाया था इसे, सिर्फ 6 अंकों का ही क्यों होता है यह, जानिए 

पिन कोड के बारे में कौन नहीं जानता। आपने कभी ना कभी चिट्टी तो जरूर लिखी होगी और उसने पिन कोड का इस्तेमाल भी किया होगा। प्ले स्कूल का फॉर्म भरने से लेकर संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा तक हर दस्तावेज में पिन कोड का इस्तेमाल किया जाता है। अब सवाल यह है कि आखिर पिन कोड नाम की चीज क्या है और इस चिड़िया में ऐसा क्या है। जो हर डाल पर बैठी हुई दिखाई देती है। उसे किसने बनाया और यह सिर्फ 6 अंकों का ही क्यों होता है।

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पिनकोड या जीप कोड का उपयोग सभी करते हैं परंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि इसका फुल फॉर्म क्या हैं। हालांकि कई प्रतियोगी परीक्षाओं में यह प्रश्न आता है इसलिए याद होना चाहिए कि पिनकोड कांकेर का फुल फॉर्म क्या है। आपको बता दें कि पिनकोड का फुल फॉर्म पोस्टल इंडेक्स नंबर है।

भारत में पिन कोड की शुरुआत श्रेय श्री राम बीकाजी को जाता है। इसकी शुरुआत 15 अगस्त 1972 को हुई थी। भारतीय डाक विभाग पिन कोड नंबर के आधार पर देश के डाक वितरण का कार्य करता है। जिसे रिपोर्ट भी कहा जाता है। इसमें सिर्फ 6 डिजिट होते हैं और हर अंक का अपना एक अलग मतलब होता है और महत्व होता है।

इन सबके बीच सबसे ज्यादा मजेदार बात यह है कि पिछले हजार सालों में जबकि वाहनों के नंबर टेलीफोन नंबर गर्म होने और कॉलोनियों के नंबर यहां तक कि भारतीय मुद्रा नोट के नंबर भी बदल गए हैं। लेकिन डाक विभाग का पिन कोड अभी तक नहीं बदला डाकघर मोहल्ले कॉलोनियों या बनते चले गए परंतु पिन कोड आज भी 6 अंकों का ही है।

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