गांव के लोग बच्चों की पढ़ाई और मंदिर बनाने के लिए घर-घर जाकर चंदा इकट्ठा कर रहे थे, गांव में एक संत भी रहते थे, जब लोग संत के पास चंदा मांगने………
पुराने समय एक गांव के लोग बच्चों की पढ़ाई और मंदिर बनाने के लिए घर-घर जाकर चंदा इकट्ठा कर रहे थे। उसी गांव में एक संत भी रहते थे। संत के प्रवचन सुनने के लिए काफी लोग पहुंचते थे।
संत के भक्त काफी अधिक थे। सभी उन्हें धन और अनाज का दान देते थे। इसी वजह से उनके पास काफी धन जमा हो गया था। ये बात गांव के सभी लोग जानते थे। चंदा मांगने के लिए लोग उनके घर पहुंच गए।
उस समय शाम हो गई थी और संत दो मोमबत्तियां जलाकर रामायण का पाठ कर रहे थे। जैसे ही उन्होंने लोगों को देखा तो उन्होंने एक मोमबत्ती बुझा दी। ये देखकर गांव के लोगों ने सोचा कि संत तो कंजूस है, ये चंदे में कुछ नहीं देंगे।
लोगों ने संत को बताया कि वे गांव के लोगों की भलाई के लिए चंदा इकट्ठा कर रहे हैं। गांव में बच्चों की पढ़ाई और मंदिर बनवाना चाहते हैं। संत ने अपने पास से बहुत सारा धन और अनाज दान में दे दिया।
ये देखकर लोगों ने कहा कि गुरुजी जब आपने एक मोमबत्ती बुझा दी तो हमने तो सोचा था कि आप कंजूस हैं और हमें चंदे में कुछ नहीं मिलेगा। लेकिन, आपने तो सबसे ज्यादा दान दिया है।
संत ने कहा कि हमें छोटी-छोटी बचत करते रहना चाहिए। तब ही हमारे पास ज्यादा धन इकट्ठा हो सकता है। यही बचत हमें जरूरत के समय काम आती है।
गांव के लोगों को समझ आ गया कि छोटी-छोटी बचत करते रहेंगे तो जब भी पैसों की समस्या आएगी, तब यही बचत काम आ सकती है।