गुरुनानक के काल में एक राजा अपनी प्रजा को बहुत कष्ट देता था, प्रजा का धन लूटकर खुद की संपत्ति बढ़ाता था, प्रजा अपने राजा की वजह से बहुत दुखी थी, प्रजा कभी भी……
कुछ लोग धन के लालच में दूसरों को कष्ट देने से भी नहीं चूकते हैं. लेकिन गलत तरीके से कमाया गया धन जीवन में परेशानियां बढ़ाता है. मृत्यु के बाद किसी के साथ कुछ नहीं जाता. गुरुनानक जी के जीवन से जुड़ा एक ऐसा ही प्रसंग है.
इस प्रसंग के अनुसार गुरु नानक के काल में एक राजा अपनी प्रजा को बहुत परेशान करता था. वह प्रजा का धन लूट कर अपनी संपत्ति बढ़ाता था. राजा से प्रजा परेशान हो गई और उनसे डरती थी. प्रजा कभी भी राजा के बारे में अच्छा नहीं सोचती थी. हर कोई यही कहता था कि वह मर जाए तो उनकी परेशानियां खत्म हो जाएंगी. राजा से कोई भी प्रेम नहीं करता था.
एक बार गुरु नानक जी उस राज्य में पहुंचे. जब यह बात राजा को पता चली तो वह गुरुदेव से मिलने आए. गुरुनानक राजा के बारे में सब जानते थे. इसीलिए जब राजा उनके पास आया तो गुरु नानक ने उनसे कहा कि राजन मुझ पर एक उपकार करें. मेरा यह एक पत्थर गिरवी रख लो. यह मुझे बहुत प्रिय है. इसका ध्यान रखना.
राजा ने कहा- ठीक है मैं इसे रख लेता हूं. लेकिन आप इसे वापस कब ले जाएंगे. गुरुनानक ने कहा- जब हमारी मृत्यु हो जाएगी और हम मिलेंगे, तब यह पत्थर मुझे वापस कर देना. राजा ने कहा- यह कैसे संभव है. भला मृत्यु के बाद कोई कैसे कुछ ले जा सकता है. गुरुनानक ने कहा कि तो फिर आप जो प्रजा का धन लूट-लूट कर अपना खजाना भर रहे हैं. क्या आप वो खजाना अपने साथ नहीं ले जाएंगे. उसी खजाने के साथ मेरा यह पत्थर भी रख लेना.
राजा गुरुनानक की बात को समझ गया और उनसे क्षमा मांगी और वचन दिया कि वह कभी अपनी प्रजा पर अत्याचार नहीं करेगा और अपने खजाने से जनता की सेवा करेगा. इसके बाद राजा पूरी तरह से बदल गया और उसने धीरे-धीरे अपनी प्रजा का दिल जीत लिया. अब सभी लोग राजा का सम्मान करने लगे.
कथा की सीख
इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि मृत्यु के बाद कोई भी व्यक्ति अपने साथ कुछ भी नहीं ले जा पाता. इसीलिए हमें गलत तरीके से धन नहीं कमाना चाहिए. अगर हम सही तरीके से धन कमाएंगे तो हम सुखी रहेंगे. हमें अपने धन का उपयोग समाज कल्याण के कार्य में करना चाहिए, जिससे हमें दूसरों का प्रेम मिलेगा.