चार बेटों ने अपनी पत्नियों के कहने पर वृद्ध पिता का पलंग पशुओं के बाड़े में लगा दिया और एक कटोरा देते हुए उससे कहा कि जब भी भूख लगे तो बस इस कटोरे को बजा देना, हम में से कोई…..
किसी गांव में एक बड़ा परिवार रहता था, जिसमें वृद्ध पिता और चार बेटे थे। चारों बेटों की शादी हो गई थी। उनके परिवार में एक छोटा बच्चा भी था। बच्चे के दादा जी बीमार रहने लगे और उनकी दवाई पर काफी खर्च होने लगा। घर की बहुओं को भी उनकी देखभाल करनी पड़ती थी, जिससे महिलाओं ने तंग आकर अपने-अपने पतियों से कहा कि हम पिताजी के लिए पशुओं के बाड़े में पलंग लगा देते हैं। इनकी वजह से घर में बहुत परेशानी हो रही है।
चारों भाई अपनी पत्नी की हां में हां मिलाते थे। चारों ने अपने पिता के पलंग को पशुओं के बाड़े में लगा दिया और अपने पिता को एक कटोरा देते हुए कहा कि अगर आपको भूख लगे तो यह कटोरा बजा देना, हम में से कोई आपको खाना दे जाएगा। लाचार पिता अपने बच्चों से कुछ बोल भी नहीं पाए और चुपचाप पशुओं के बाड़े में रहने लगा।
जब भी उसे भूख लगती तो वह कटोरा बजा देता और कोई ना कोई आकर उसे खाना दे जाता। उसे सूखी रोटी, बासी खाना सब मिलता। घर का छोटा बच्चा यह सब देख रहा था। वह अपनी दादा जी के पास गया और उनसे सारी बात पूछी। दादा ने अपने पोते को सारी बात बताई।
पोते ने देखा दादा के पलंग के पास कुछ टूटे-फूटे मिट्टी के बर्तन रखे हैं। उसने वह बर्तन उठाकर अपने कमरे के बाहर रख दिए। बच्चे के पिता ने देखा तो उससे पूछा कि यह सब कहां से लाए हो। बच्चे ने जवाब दिया- पिताजी जब आप बूढ़े हो जाएंगे तो आपको भी बाड़े में रहना पड़ेगा। उस समय आपको देने के लिए यह बर्तन रखे हैं। यह सुनते ही चारों भाइयों को अपनी गलती का एहसास हो गया और वे अपने पिता के पास गए। उनसे माफी मांगी और उन्हें घर ले आए।
कथा की सीख
जैसा मां-बाप करते हैं, वही शिक्षा बच्चे ग्रहण करते हैं। अगर आप अपने मां-बाप के साथ गलत व्यवहार करेंगे तो आपके बच्चे भी आगे आने वाले समय में आपके साथ वैसा ही व्यवहार करेंगे।