जानिए आखिर दिल्ली कैसे बना था केंद्र शासित प्रदेश, ये है इसके पीछे की पूरी कहानी
दिल्ली के बारे में यह बात बहुत ही प्रचलित है कि दिल्ली कई बार उजड़ी और कई बार बसी। 1 नवंबर 1956 दिल्ली के लिए बहुत ही खास रहा क्योंकि इस दिन दिल्ली को केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा दिया गया। स्वतंत्रता मिलने के बाद दिल्ली देश की राजधानी घोषित की गई। 1956 में दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दी गई। इसका इतिहास 11 साल पुराना है।
आज से 50 ईसा पूर्व दिल्ली पर ढिलू या डिलू नाम के शासक का शासन हुआ करता था। इसी ने यह शहर बसाया था और इसका नाम बदलते बदलते दिल्ली पड़ गया। कुछ किस्सो से यह पता चलता है कि यह नाम ढीली से पड़ा जिसका अर्थ होता है ढीला।
आठवीं शताब्दी में तोमर राजा दिल्ली पर शासन करते थे। हालांकि लौहस्तंभ की नींव काफी कमजोर थी। इसीलिए उसे स्थानांतरित कर दिया गया। दिल्ली का नाम बदलते बदलते दिल्ली रखा गया। तोमर राजाओं के शासनकाल में ही सिक्के का प्रचलन शुरू किया गया। इस जगह के सिक्कों को देहलीवाल बोला जाता था।
12 वीं शताब्दी में चौहान शासकों द्वारा तोमर शासकों से दिल्ली की गद्दी छीन ली गई। उस समय दिल्ली का नाम ढिलिका हुआ करता था। कुतुबुद्दीन ऐबक दिल्ली का पहला सुल्तान माना जाता है और उसी ने ही दिल्ली में कुतुबमीनार का निर्माण करवाया। साल 1398 में दिल्ली में काफी खून खराबे हुए क्योंकि तैमूर ने दिल्ली पर कब्जा कर लिया और लूटपाट की । करीब 100000 लोगों को मार दिया गया।
हेमू विक्रमादित्य ने 1553 में दिल्ली पर अपना कब्जा कर लिया। लेकिन 3 साल बाद अकबर ने दिल्ली अपने कब्जे में ले ली। 1735 में मराठा शासकों ने दिल्ली को अपने कब्जे में लिया। हालांकि दो साल बाद तुर्की के शासक नादिरशाह ने दिल्ली में लूटपाट मचाई। 1757 में फिर दिल्ली में लूटपाट हुई।
हालांकि इसके बाद अंग्रेज दिल्ली में आ गए और उन्होंने मराठों को हरा दिया। अंग्रेजों ने दिल्ली को पंजाब का प्रांत बना दिया था। हालांकि 1911 में दिल्ली केंद्र में आ गई। अंग्रेज अपनी राजधानी कलकत्ता से हटाकर दिल्ली ले गए। 1947 में जब भारत आजाद हुआ तो इसे भारत की राजधानी बनाया गया। 1 नवंबर 1956 को स्टेट रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट 1956 के प्रभाव में आने के बाद दिल्ली को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया।