ट्रेन के डिब्बों पर बनी इन पीली-लाल लाइंस का मतलब जानते हैं आप, जान लीजिए काम की है जानकारी

बाहर घूमने के लिए हमें ट्रेन, बस, गाड़ी या प्लेन किसी माध्यम से सफर करना पड़ता है. लेकिन ज्यादातर लोग रेल से सफर करना पसंद करते हैं. भारत में तो रेल से सफर करने वाले लोगों की संख्या बहुत ज्यादा है. हालांकि कुछ लोगों को रेल में सफर करना बिल्कुल भी पसंद नहीं होता.

रेल पर कई ऐसी चीजें बनी होती है जिनके बारे में लोगों को जानकारी होनी चाहिए. लेकिन लोग ध्यान नहीं देते. रेल कोच के आखिरी में पीले, लाल, नीले या फिर अन्य रंगों की धारियां क्यों बनी होती है, यह आपको जरूर पता होना चाहिए।

इसलिए होती है यह धारियां

भारत देश में रेलवे की सेवा 16 अप्रैल 1853 से शुरू हुई थी. भारतीय रेलवे को साल 1951 में नेशनलाइज्ड किया गया. कई ऐसे साइनकोड ट्रेनों में लगे होते हैं, जिन पर हम ध्यान नहीं देते. ट्रेन के नीले रंग के कोच के आखिरी में खिड़की के ऊपर पीले या सफेद रंग की धारियां होती हैं. आपको बता दें कि यह धारियां यात्रियों की सुविधाओं के लिए बनाई गई हैं. कोच के ऊपर बनी यह धारिया बताती हैं कि यह द्वितीय श्रेणी यानी जनरल डिब्बा है.

काम आती हैं ये धारियां भी

आपने पीले रंग की मोटी धारियां नीले या लाल रंग के कोच पर जरूर देखी होंगी. इन धारियों से पता चलता है कि विकलांग और बीमार लोगों के लिए यह कोच बना है. इसी तरह लोकल ट्रेन पर ग्रे पर लाल रंग की धारियां दिखती है, जो बताती है कि यह फर्स्ट क्लास कोच है. अक्सर लोग रेल के कोचच तलाशने के लिए इन चीजों को ढूंढते हैं. यह चीजें हमारे सामने होती है, लेकिन हमें इसके बारे में पता नहीं होता, जिस वजह से हमें परेशानी झेलनी पड़ती है.

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