दुनिया का एकमात्र ऐसा शहर, जिस पर 75 साल पहले तक एक नही बल्कि 4 देशों का रहा था कब्जा
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बर्लिन शहर की स्थिति काफी अजीबोगरीब हो गई. इस शहर पर 4 मुल्कों का कब्जा था. हर मुल्क ने बर्लिन को अपने-अपने सेक्टरों में बांट रखा था. यह 4 मुल्कों थे- सोवियत संघ, अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस. 1948 में स्टालिन ने पश्चिमी बर्लिन के हिस्से को वेस्ट जर्मनी से काट दिया, जिस वजह से इलाका पश्चिमी बर्लिन के लिए गले की हड्डी बन गया.
एक दिन अचानक से सुबह 1:00 बजे जर्मनी की सीमा पुलिस और सशस्त्र बलों को बर्लिस सेक्टर की सीमाओं पर तैनात कर दिए गए. दूसरी तरफ उनके सामने अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और पश्चिमी बर्लिन की पुलिस थी. इसके बाद जल्दबाजी में कंक्रीट के पोल खड़े कर दिए गए. पूर्वी जर्मनी का हर छोटा आदमी पश्चिम जर्मनी चला गया था और यह पलायन बर्लिन के रास्ते से हुआ था. इसी वजह से यह दीवार खड़ी की गई थी.
1998 के बाद इस ओर कम्युनिस्ट प्रशासन ने ध्यान दिया और पूर्वी जर्मनी छोड़ने वालों को रोकने की कोशिश की. बर्लिन इन को चला रहे चारों मुल्कों के बीच इस बात पर रजामंदी हुई कि शहर में उनके नियंत्रण वाले इलाकों की सीमाएं खुली रखी जाएंगी. इसके बाद 1961 में दीवार खड़ी करने की योजना बनाई गई, जो इतनी गुप्त रखी गई कि पूर्वी जर्मनी छोड़ने वाले लोगों के बीच भगदड़ मच गई.
संप्रभुता मिलते ही पूर्वी जर्मनी को पश्चिमी बर्लिन से वेस्ट जर्मनी को जोड़ने वाले रास्तों पर नियंत्रण हासिल हो गया. इसके बाद केनेडी ने अपने भाषण में यह साफ कर दिया कि वह पश्चिमी बर्लिन को बचाने के लिए युद्ध भी कर सकते हैं. 17 जून 1953 को सीमा रेखा पर कंटीले तार लगाने का काम शुरू हुआ.