दुनिया का सबसे अनोखा देश, जहां कुंवारे लोगों को देना होता है “बैचलर टैक्स”

दुनिया में एक ऐसा देश भी है, जहां ‘बैचलर टैक्स’ के नाम पर कुंवारे लोगों से भी टैक्स वसूला जाता है. ये अजीबोगरीब टैक्स वहां पहली बार 203 साल पहले यानी साल 1820 में लगाया गया था. दिलचस्प बात ये है कि 21 साल से 50 साल की उम्र के अविवाहित लोगों पर ये टैक्स सेवा लागू है.

इस बार का आम बजट नौकरीपेशा लोगों के लिए थोड़ी राहत पहुंचाने वाला तो थोड़ा लोगों की टेंशन बढ़ाने वाला भी है, क्योंकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नई टैक्स रिजीम में बदलाव की घोषणा की है. अब 3 लाख रुपये सालाना कमाने वाले लोगों को तो टैक्स नहीं देना पड़ेगा, लेकिन अगर आपकी आय सालाना 3 लाख से 7 लाख रुपये तक है तो आपको 5 फीसदी टैक्स भरना पड़ सकता है और अगर 10 से 12 लाख रुपये तक आय है तो उसपर 15 फीसदी टैक्स लगेगा, पर क्या आप जानते हैं कि एक देश ऐसा भी है, जहां कुंवारे लोगों को भी टैक्स भरना पड़ता है, जिसे ‘बैचलर टैक्स’ के नाम से जाना जाता है.

दुनिया में ऐसे कई लोग हैं, जो अक्सर कहते फिरते हैं कि वो शादी नहीं करना चाहते, कुंवारे रहना चाहते हैं, लेकिन अमेरिका के मिसौरी राज्य में शायद ही कुंवारे लोग ऐसा सोचते होंगे, क्योंकि यहां रहने वाले कुंवारे लोगों को भी टैक्स भरना पड़ता है. ये अजीबोगरीब टैक्स पहली बार आज से 203 साल पहले यानी साल 1820 में लगाया गया था और तब से ये चला आ रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 21 साल से 50 साल की उम्र के बीच वाले अविवाहित लोगों को हर साल एक डॉलर यानी करीब 83 रुपये टैक्स के रूप में भरने पड़ते हैं.

वैसे इस अजीबोगरीब टैक्स को और भी कई देशों में लागू किया गया था, जिसमें जर्मनी से लेकर इटली और साउथ अफ्रीका जैसे देश शामिल हैं, लेकिन इनमें से कई देशों में ये टैक्स सेवा समाप्त हो गई है. आपको जानकर हैरानी होगी कि ऐसे और कई अजीबोगरीब टैक्स हैं, जो पहले लोगों पर लगाए जा चुके हैं, लेकिन अब उन्हें खत्म कर दिया गया है.

बहुत पुरानी बात है जब लोगों को ‘हैट टैक्स’ भी भरना पड़ता था. साल 1784 से 1811 के बीच ब्रिटिश सरकार ने पुरुषों पर ये टैक्स लगाया गया था. इसके पीछे सोच ये थी कि जिन लोगों के पास बहुत सारी महंगी-महंगी टोपियां होती थीं, वो अमीरों की श्रेणी में आते थे, जबकि गरीब तबके के लोगों के पास या तो मुश्किल से एक ही टोपी होती थी या वो भी नहीं होती थी. इसलिए उन अमीरों की संपत्ति के आधार पर उनसे टैक्स वसूला जाता था.

अमेरिका के मैरीलैंड में टॉयलेट फ्लश करने पर भी टैक्स लगाया गया है. ऐसा यहां पानी की खपत पर नियंत्रण लगाने के लिए किया गया है. यहां लोगों से हर महीने 5 डॉलर यानी करीब 418 रुपये टॉयलेट फ्लशिंग टैक्स के रूप में वसूला जाता है और उन पैसों का इस्तेमाल सीवेज प्रणाली के सुधार और विकास के कामों में किया जाता है.

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