दूर-दूर से लोग रोजाना संत तुकाराम के प्रवचन सुनने आते थे, लेकिन उनका एक पड़ोसी उनसे बहुत जलता था, वह भी रोजाना उनके प्रवचन सुनने आता था, वह संत को नीचा दिखाने के लिए………
तुकाराम की गिनती भारत के महान संतों में की जाती है। उनके जीवन से संबंधित कई ऐसी कथाएं प्रचलित है जिनसे हमें सुखी और सफल जीवन की शिक्षा मिलती है। आज इस पोस्ट में हम आपको उनसे जुड़ी एक ऐसी ही कथा बताने जा रहे हैं।
उस लोककथा के मुताबिक संत तुकाराम हर रोज प्रवचन देते थे और उनका प्रवचन सुनने के लिए दूर-दूर से लोग आते थे। प्रवचन के कारण संत तुकाराम आसपास के इलाकों में काफी प्रसिद्ध हो गए। हालांकि उनका एक पड़ोसी उनसे जलता था। वह हर रोज उनका प्रवचन भी सुनता था। लेकिन वह संत तुकाराम को नीचा दिखाने का मौका देखता रहता था।
एक बार संत तुकाराम की भैंस पड़ोसी के खेत में चली गई और उस पड़ोसी की पूरी फसल बर्बाद कर दी। पड़ोसी बहुत ही ज्यादा नाराज हो गया और वह संत तुकाराम के घर गया और उन्हें गालियां देने लगा। संत तुकाराम शांत रहे तो पड़ोसी और ज्यादा क्रोधित हो गया। पड़ोसी ने डंडा उठाकर तुकाराम की पिटाई कर दी। अंत में वह पड़ोसी अपने घर वापस लौट आया।
अगले दिन वह पड़ोसी संत तुकाराम का प्रवचन सुनने नहीं आया। इसके बाद वह संत उस पड़ोसी के घर गए और उनकी भैंस से हुई गलती के लिए माफी मांगी और कहा कि तुम मेरे प्रवचन सुनने आया करो। वह पड़ोसी तुकाराम की सहनशीलता देखकर काफी प्रभावित हुआ। वह तुकाराम के पैरों में गिर गया और क्षमा मांगने लगा। संत तुकाराम ने पड़ोसी को गले लगा लिया।
कहानी की सीख
इस कहानी से हमें सीखने को मिलता है कि क्रोध के कारण ही पारिवारिक रिश्तो में झगड़े होते हैं। अगर हम ज्यादा क्रोध करते हैं तो हमें ही नुकसान होता है। इसीलिए क्रोध में कोई भी कदम नहीं उठाना चाहिए।