पति की लाश के साथ तीन दिन तक सोती रही पत्नी, जब पुलिस ने देखा अंदर का नजारा तो उड़ गए होश

मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां एक पत्नी अपनी पति की लाश के साथ तीन दिन तक सोती रही. मृतक पति कैंट बोर्ड में सफाईकर्मी था, जबकि उसकी पत्नी मानसिक रूप से बीमार रहती थी, जिस वजह से पति की मौत से वह अंजान रही.

मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में एक दिल दहलाने वाली घटना सामने आई है. गोराबाजार थाना क्षेत्र के कृष्णा होम्स में रहने वाले 55 वर्षीय रमेश बाल्मीकि, जो कैंट बोर्ड में सफाई कर्मचारी थे, उनकी मौत हो गई, लेकिन उनकी पत्नी ललिता बाल्मीकि तीन दिनों से भूखी प्यासी इस बात से अनजान रहीं. दरअसल, ललिता मानसिक रूप से कमजोर हैं, जिसके कारण उन्हें पति की मौत का आभास ही नहीं हुआ. इस बीच रमेश का शव घर में ही पड़ा रहा और सड़ने लगा.

मृतक के छोटे भाई सोम बाल्मीकि ने बताया कि वह अपने भाई रमेश बाल्मीकि के घर अक्सर आया जाया करते थे, लेकिन किसी काम के चलते वह पिछले तीन दिनों से उनके घर नहीं गए. इसी बीच उन्होंने फोन कर बड़े भाई की जानकारी लेनी चाहिए तो पता चला कि रमेश 13 फरवरी से अपनी ड्यूटी पर नहीं गए थे और उनका मोबाइल भी बंद आ रहा था.

जब कई दिनों तक संपर्क नहीं हो पाया तो वह सीधे उनके घर पहुंचे. दरवाजा खोलते ही अंदर का दृश्य देखकर वे सन्न रह गए. कमरे में रमेश का शव पड़ा था और पत्नी पास में ही बैठी थीं. शव से दुर्गंध आने लगी थी ओर नाक से खून आने लगा था, जिससे स्पष्ट था कि रमेश की मौत कई दिनों पहले हो चुकी थी.

परिजनों के अनुसार, रमेश बाल्मीकि पहले से ही दिल की बीमारी से पीड़ित थे. घर में वह और उनकी पत्नी रहते थे, क्योंकि उनकी कोई संतान नहीं थी, जिसके करण रमेश ही घर का पूरा काम करते थे. पत्नी को खाना बनाकर खिलाना और सेहत का ख्याल भी रमेश रखते थे. पत्नी की मानसिक स्थिति ठीक न होने के कारण उन्हें इस त्रासदी का अहसास ही नहीं हुआ और वह तीन दिनों से पति के उठने का इंतजार करती रहीं.

घटना की सूचना मिलते ही गोराबाजार थाना पुलिस मौके पर पहुंची. पुलिस ने पंचनामा कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. एडिशनल एसपी सूर्यकांत शर्मा ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही रमेश की मौत के सही कारणों का पता चल सकेगा. फिलहाल प्राथमिक जांच में यह दिल का दौरा पड़ने से हुई मौत का मामला प्रतीत हो रहा है.यह घटना समाज के लिए भी एक बड़ा सवाल खड़ा करती है. मानसिक रूप से कमजोर पत्नी के साथ रहने वाले रमेश की देखभाल के लिए परिवार या पड़ोसियों की कोई भूमिका नहीं दिखी. अगर समय रहते कोई उनकी सुध लेता तो शायद स्थिति इतनी दर्दनाक न होती.

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