प्रेरक कथा; किसी गांव में पति-पत्नी रहते थे, एक दिन किसी बात को लेकर दोनों के बीच झगड़ा हो गया, गुस्से में आकर पत्नी बोली मुझे तुम्हारे साथ नहीं रहना है, उसने भी कह दिया जब मैं…….
एक गांव में सुबह के वक्त पति और पत्नी के बीच झगड़ा हो गया। दोनों ही गुस्से में थे और इस कारण बात ज्यादा बढ़ गई। गुस्से में पत्नी ने पति से कहा कि मैं अब तुम्हारे साथ नहीं रहना चाहती हूं। उधर पत्नी से पति ने भी कह दिया जब मैं शाम को घर वापस आऊं, तो मुझे दिखना मत। सामान उठाओ और घर से चली जाओ।
पति के जाने के बाद महिला बहुत दुखी हुयी। वह मां के घर गई और बहुत रो रही थी। महिला की मां उसी गांव में रहती थी। उसने अपनी मां को पूरी बात बताई। मां ने अपनी बेटी से कहा कि पति-पत्नी के रिश्ते में यह बात होना आम है। तुझे इतनी सी बात के लिए घर छोड़कर नहीं आना चाहिए था। तेरी बहन का रिश्ता भी इस छोटे से झगड़े की वजह से टूटा था। तू अपना गुस्सा त्याग दे और अपने पति के पास चली जा। इन बातों को दिल पर लेना नुकसानदायक होता है।
पत्नी ने अपनी मां की बात मान ली और पति के घर चली गई। उसका गुस्सा भी शांत हो गया। पत्नी को एहसास हुआ कि उसने कितनी बड़ी गलती कर दी। छोटी-सी बात पर उसने झगड़ा किया। अगर मां मुझे नहीं समझाती तो जाने क्या हो जाता।
महिला ने पति को मनाने के लिए अच्छा सा भोजन बनाया। पत्नी ने सोचा कि मैं शाम को पति से माफी मांग लूंगी। शाम तक पति का गुस्सा भी ठंडा हो चुका था। जब उसका पति घर आया तो सब कुछ पहले की तरह हो गया। दोनों ऐसे बर्ताव करने लगे जैसे कुछ हुआ ही नहीं था। दोनों ने बैठकर साथ में भोजन किया। भोजन करने के बाद पति ने अपनी पत्नी से कहा कि मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं। लेकिन कभी-कभी गुस्सा हो जाता हूं। तुम मेरी बातों को दिल पर मत लिया करो। गुस्से में मैं कुछ भी कह देता हूं।
जब पति ने पत्नी से यह बातें कहीं तो पत्नी को ऐहसास हुआ कि यदि आज मैं मां की बात नहीं मानती तो मुझसे कितनी बड़ी गलती हो सकती थी। मेरा वैवाहिक जीवन बिगड़ सकता था। मन ही मन उसने अपनी माता को धन्यवाद किया, क्योंकि मां ने ही उसको वापस पति के घर जाने के लिए कहा था। पति भी मन ही मन पत्नी को धन्यवाद कर रहा था, क्योंकि उसको लग रहा था कि इतना गुस्सा करने के बावजूद भी मेरी पत्नी घर छोड़ कर नहीं गई। वरना सब कुछ खत्म हो जाता।
कहानी की शिक्षा
इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है की वैवाहिक जीवन में कभी भी अहंकार को नहीं पनपने देना चाहिए। पति-पत्नी के बीच प्रेम होना जरूरी है, अहंकार नहीं। इस रिश्ते में छोटी-मोटी लड़ाइयां तो होती रहती है। लेकिन ऐसी लड़ाई को दिल पर नहीं लेना चाहिए। क्रोध में आदमी कुछ भी कह जाता है। लेकिन क्रोध शांत होने पर सब कुछ पहले जैसा हो जाता है।