प्रेरक प्रसंग; एक जौहरी की मृत्यु के बाद पूरे परिवार की जिम्मेदारी उसके बेटे पर आ गई, बेटे के पास एक हीरे का हार था……
एक जौहरी की मृत्यु हो गई। इसके बाद उसके परिवार की जिम्मेदारी उसके बेटे पर आ गई। व्यापार भी पूरी तरह से बंद हो गया। परिवार की आर्थिक स्थिति बिगड़ती जा रही थी। एक बार उस लड़के को घर पर हीरे का हार मिला। लड़के को हीरे का बिल्कुल भी ज्ञान नहीं था। उसे लगा कि यह हार कीमती है। वह उस हार को लेकर अपने चाचा के पास गया क्योंकि उसके चाचा हीरे का व्यापार करते थे।
चाचा ने हीरे का हार देखकर कहा इसे अभी मत बेचना क्योंकि अभी मजार बंदा है। अगर तुम इसे कुछ समय बाद बेचोगे तो तुम्हे अच्छी कीमत मिल जाएगी। जब तक तुम मेरी दुकान पर काम कर लो। इससे तुम्हारे घर का खर्चा भी चल जाएगा। लड़के ने चाचा की दुकान पर काम करना शुरू कर दिया।
अब लड़के को हीरे की अच्छी परख हो गई। वह असली और नकली हीरे तुरंत पहचान लेता था। अब उसके परिवार की आर्थिक स्थिति भी सुधर गई। जब उसने देखा कि बाजार में तेजी चल रही है तो उसने हीरे का हार बेचने का निर्णय किया। लड़का घर गया और हीरे का हार लेकर निकालने लगा। लेकिन उसे पता चला हार तो नकली है, जिसकी कोई कीमत नहीं है।
लड़का तुरंत ही चाचा के पास पहुंच गया। चाचा ने लड़के से कहा कि मैंने तो उसी दिन समझ लिया था कि यह हार नकली है। लेकिन यदि मैं तुम्हें उस दिन कहता है यह नकली है तो तुम सोचते कि मैं तुम्हें ठगने की कोशिश कर रहा हूं। उस वक्त मुझे गलत समझते। इसीलिए मैंने तुमको अपनी दुकान पर काम करने के लिए रखा। इससे तुम्हें असली और नकली हीरे की पहचान हो गई और तुम्हारे घर परिवार का भी खर्चा चल गया।
कहानी की सीख
इस कहानी से हमें सीखने को मिलता है कि अधूरा ज्ञान होने पर किसी भी काम को नहीं करना चाहिए। अन्यथा इसे हमेशा नुकसान ही झेलना पड़ता है। इसीलिए हर चीज का ज्ञान होने के बाद ही उसे करना चाहिए।