प्रेरक प्रसंग; एक राजा की कोई संतान नहीं थी, जब वह बूढ़ा हो गया तो उसे चिंता होने लगी कि अब राज्य को कौन संभालेगा……

एक राजा बूढ़ा हो चुका था। उस राजा की कोई भी संतान नहीं थी। अब राजा को इस बात की चिंता सताने लगी कि मेरे बाद इस राज्य को कौन संभालेगा। इस वजह से राजा ने अपने गुरु से पूछा कि आप इस समस्या का हल बताइए। गुरु ने बताया कि आप राज्य के किसी योग्य व्यक्ति को इस राज्य का उत्तराधिकारी बना दीजिए। राजा को गुरु की बात समझ आ गई।

राजा ने अपने मंत्री से कहा कि आप प्रजा में यह घोषणा करवा दो जो व्यक्ति कल सूर्यास्त से पहले मुझसे मिलने आएगा उसको राज्य का उत्तराधिकारी बनाया जाएगा। मंत्री ने कहा महाराज यह तो बहुत आसान है। इसके लिए पूरी प्रजा यहां तक पहुंचाएगी।

राजा ने बताया कि मुझ तक सिर्फ योग्य व्यक्ति हीं पहुंच पाएगा। आप सिर्फ घोषणा करवाइए। मंत्री ने अपने राजा की बात का पालन किया और पूरी प्रजा में यह घोषणा करवा दी। अब लोग उत्तराधिकारी बनने के लिए राज महल की ओर निकल पड़े।

राजा ने भी महल के बाहर एक बड़े मेले का आयोजन किया, जिसमें शराब थी, नाच-गाना भी हो रहा था, तरह-तरह के स्वादिष्ट पकवान भी थे, कई तरह के खेल भी थे। सभी लोग उत्तराधिकारी बनने का भूल गए और मेले में उलझ गए। सभी लोग मजा लेने लगे।

लेकिन उनमें से एक एक व्यक्ति ऐसा था जो मेले में नहीं उलझा। वह अपने लक्ष्य तक पहुंचना चाहता था। वह सीधे राज महल की ओर चल दिया, जहां पर दो पहरेदार खड़े हुए थे। पहरेदार ने उस व्यक्ति को रोका। लेकिन वह किसी तरह निकल गया। अंदर जैसे ही उसने प्रवेश किया, उसे राजा और मंत्री दिखाई दिए। इस तरह से राजा ने उसे राज्य का उत्तराधिकारी बना दिया।

कहानी की सीख

इस कहानी से हमें सीखने को मिलता है जब तक हमें लक्ष्य ना मिल जाए किसी भी तरह के प्रलोभन में नहीं फंसना चाहिए।

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