प्रेरक प्रसंग: जीवन में अनेकों समस्याएं आती रहती हैं, हमें इन समस्याओं से बाहर निकलने का रास्ता ढूंढना चाहिए, अगर……
एक राजा के दरबार में एक राजकवि रहा करते थे। सब लोग उनका बहुत सम्मान करते थे। एक दिन राजा दरबार में बैठे हुए थे, उस समय राजकवि दरबार में आए तो राजा ने खड़े होकर उनका अभिवादन किया तो राजकवि ने उनको आशीर्वाद देते हुए कहा कि आपके शत्रु चिरंजीवी हों। राजकवि की यह बात सुनकर राजा और वहां मौजूद सभी लोग हैरान रह गए।
राजा भी राजकवि से नाराज हो गए। लेकिन उन्होंने अपने क्रोध को शांत कर लिया। राजा राज कवि का बहुत सम्मान करते थे, जिस वजह से उनके कुछ मंत्री राजकवि से बहुत ज्यादा ईर्ष्या करते थे। इस वजह से उन्होंने सोचा कि अब वे राजा से कहकर राजकवि को दरबार से बाहर निकलवा देंगे। राजकवि सभी लोगों के मन की बात को समझ गए।
राजकवि राजा से बोले कि महाराज मुझे क्षमा करें, मैंने आपको कुछ दिया है। लेकिन आप उसे स्वीकार नहीं कर रहे हैं। यह बात सुनकर राजा ने राजकवि से पूछा कि आपने मुझे कौन-सी चीज दी है। राजकवि ने राजा से कहा कि राजन, मैंने आपको आशीर्वाद दिया। लेकिन आपने वो आशीर्वाद स्वीकार नहीं किया। राजा ने राजकवि से कहा कि मैं ऐसा आशीर्वाद कैसे ले सकता हूं। आप मेरे शत्रुओं को शुभकामनाएं दे रहे हैं।
राजकवि ने फिर राजा को समझाया कि मैंने आपको यह आशीर्वाद इसलिए दिया है, जिससे आपका ही भला होगा। जब तक आपके शत्रु जीवित रहेंगे, तभी आप अपने बल, बुद्धि, पराक्रम को लेकर सावधानी बनी रहेगी और शत्रुओं से निपटने के लिए हर समय तैयार रहेंगे। जब तक आपको शत्रुओं का भय रहेगा, आप तभी तक सोचते रहेंगे। नहीं तो शत्रु के अभाव में आप लापरवाह हो जाएंगे और किसी दिन आपके ऊपर कोई दूसरा राजा आक्रमण कर देगा। इस वजह से मैंने आपको यह आशीर्वाद दिया। राजा राजकवि की यह बात सुनकर संतुष्ट हो गए।
कथा की सीख
इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि जीवन में समस्याएं तो आती रहती हैं, लेकिन हमें इन समस्याओं से बाहर निकलने के रास्ते खोजने चाहिए। अगर हम परेशानियों से डर जाएंगे तो हम जीवन में तरक्की नहीं कर पाएंगे।