प्रेरक प्रसंग; 80 साल के बुजुर्ग पिता ने एक पक्षी की तरफ इशारा करते हुए बेटे से पूछा वह कौन सा पक्षी है, जो छत पर बैठा है, बेटे ने कहा कबूतर, कुछ देर बाद पिता ने वही सवाल दोबारा पूछा तो……
आज हम आपको एक बेहद ही अच्छी कहानी के बारे में बता रहे हैं। दरअसल एक बार एक गांव में 80 साल के बूढ़े पिता ने अपने बेटे से एक पक्षी को दिखाते हुए पूछा कि बेटा वह कौन सा पक्षी है जो हमारे घर की छत पर बैठा है? इसके बाद बेटे ने जवाब दिया कि पिताजी वह कबूतर है।
इसके कुछ देर बाद उस पिता ने फिर वही प्रश्न पूछा, फिर बेटे ने वही जवाब दिया कि वह कबूतर है। हालांकि पिता ने एक बार फिर वही सवाल और बेटे ने फिर वही जवाब दिया।
इसके बाद फिर पिता ने जब वही प्रश्न एक बार और पूछ लिया तो बेटे को गुस्सा आ गया। बेटे ने कहा कि पिताजी आपको समझ में नहीं आता क्या, बोला तो कि वह पक्षी कबूतर है। कितनी बार एक ही बात बताना पड़ेगी? बुढ़ापे में आपकी सोचने-समझने की शक्ति खत्म हो गई है।
बेटे की इन बातों से पिता को बहुत दुख हुआ। इसके बाद बूढ़ा व्यक्ति चुपचाप अपने कमरे में चला गया और अंदर से एक डायरी लेकर बाहर आया। दरअसल उस डायरी में बूढ़े व्यक्ति ने अपने बेटे से जुड़ी खास बातें लिख रखी थीं। इसके बाद वह डायरी उसने अपने बेटे को दे दी।
फिर बेटे ने डायरी ली और उसे खोला। एक पेज पर लिखा था कि आज मेरे छोटे से बेटे ने मुझसे एक ही पक्षी के बारे में करीब 50 बार पूछा, मैंने हर बार उसका जवाब बहुत खुश होकर दिया। बेटा हर बार बड़ी मासूमियत से वही सवाल बार-बार पूछ रहा था, लेकिन मैं गुस्सा नहीं हुआ, बल्कि मुझे ये बहुत अच्छा लग रहा था।
डायरी में लिखी इन बातों को पढ़कर बेटे की आंखों में आंसु आ गए और उसे अपनी गलती का अहसास हो गया कि उसे पिता से इस तरह बातें नहीं करनी चाहिए।
कथा की क्या है सीख
इस कहानी से यही सीख मिलती है कि माता-पिता बच्चों की सभी बातें ध्यान से सुनते हैं, समझते हैं और प्रश्नों के जवाब देते हैं। बावजूद इसके कि बच्चे कई बार एक ही प्रश्न लगातार पूछते हैं माता-पिता फिर भी गुस्सा नहीं करते।
हालांकि माता-पिता के बुढ़ापे में बच्चे उनकी बातों पर इतना ध्यान नहीं देते हैं। यही कारण है कि बुढ़ापे में माता-पिता का बहुत ज्यादा ध्यान रखना चाहिए और उनकी हर बात गंभीरता से सुननी चाहिए।