भारत का एक ऐसा मंदिर जहां शेर भी करता था देवी की भक्ति, कहते हैं सदियों से जल रही यहां की दिव्य अखंड ज्योत, रामायण काल की हैं यहां की प्रतिमा
बिहार में गया की धार्मिक नगरी के रूप में पहचान है। धर्म की इस नगरी में कई प्राचीन देवी देवताओं की प्रतिमाएं हैं जिसमें से एक संकटा माई का मंदिर भी है। कहा जाता है कि इस मंदिर में मनुष्यों के अलावा कभी शेर-बाघ भी दंडवत करने आते थे। गया के लखनपुरा में माता संकटा माई का यह मंदिर है। कहा जाता है कि यहां की प्रतिमा रामायणकालीन है। यहां जो भी श्रद्धालु आते हैं, वे खाली हाथ नहीं लौटते। माता संकटा माई सभी के संकटों को दूर करती हैं।
माता की प्रतिमा वर मुद्रा में है
नवरात्रि के दिनों में यहां काफी श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। इस मंदिर की धार्मिक मान्यता काफी अधिक है। मां संकटा माई की प्रतिमा रामायणकालीन बतायी जाती है। संकटा माई की प्रतिमा को भगवान राम के भाई लक्ष्मण ने स्थापित किया था। मान्यता यह भी है, कि भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जब वनवास पर आए थे, तो उन पर संकट था। ऐसे में उन्होंने माता भगवती का आह्वान किया था। माता भगवती के आदेश के बाद लक्ष्मण जी ने संकटा माई की प्रतिमा की स्थापना की। इस तरह संकटा माई की प्रतिमा कई युगों पुरानी है। इस मंदिर में एक अखंड ज्योति युगो-युगो से जलती चली आ रही है।
इस मंदिर की पुजारिन रेशमी देवी बताती है, कि यह ज्योति कभी नहीं बुझती है इस मंदिर की महिमा अपरंपार है यहां कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटता है। पुजारिन रेशमी देवी बताती हैं, कि संकटा माई का मंदिर देश में दो ही जगह पर है। एक बनारस में और दूसरा गया के लखनपुरा में। माई चमत्कारी हैं और वह अपने दरबार से किसी को खाली हाथ नहीं जाने देती हैं। इस वजह से यहां दूर-दूर से भक्त आते हैं और माता संकटा माई के दर्शन करते हैं।
मां संकटा को मनुष्य ही नहीं बल्कि शेर और बाघ भी दंडवत करने के लिए आते थे। लखनपुरा जब जंगल था तो शेर बाघ पहले सुबह एक बार आते थे और माता के सामने दंडवत कर दहाड़ लगाकर वापस लौट जाते थे किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया था।