महर्षि ऋषि कश्यप की 13 पत्नियां थीं, एक पत्नी का नाम विनता था, गरुड़ विनता के पुत्र हैं, जो बाद में भगवान विष्णु जी वाहन बने थे……

महाभारत के आदि पर्व में नागों के बारे में बताया गया है। उस समय एक महर्षि थे, उनका नाम था ऋषि कश्यप। उनकी 13 पत्नियां थीं, उनमें एक का नाम कद्रू था। कद्रू और कश्यप ऋषि के संतान के रूप में नागों का जन्म हुआ था। कश्यप ऋषि की एक पत्नी थी विनता। गरुड़ विनता के पुत्र हैं। बाद में गरुड़ विष्णु जी वाहन बने थे।

कद्रु विनता से ईर्ष्या करती थी और किसी तरह उसे नीचा दिखाने की कोशिश में लगी रहती थी। विनता को शर्त लगाने की बुरी आदत थी। इस बात का लाभ उठाते हुए कद्रू ने विनता से शर्त लगाई कि उच्चैश्रवा घोड़ा सफेद है, लेकिन उसकी पूंछ काली है। विनता का कहना था कि उस घोड़े की पूंछ सफेद है।

वास्तव में उस घोड़े की पूंछ सफेद ही थी। कद्रू ने विनता को हराने के लिए अपने नाग पुत्रों से कहा कि वे सभी अपना आकार बालों की तरह करके उस घोड़े की पूंछ पर चिपक जाएं। ऐसा करने से विनता को दूर से घोड़े की पूंछ काली दिखाई देगी और वह शर्त हार जाएगी।

कद्रू की बात मानने से कुछ नागों ने मना कर दिया था, तब कद्रु ने अपने ही पुत्रों को यज्ञ में भस्म होने का शाप दे दिया। शाप से डरकर सभी नाग पुत्र उच्चैश्रवा घोड़े की पूंछ पर चिपक गए। जब विनता ने उस घोड़े को देखा तो उसकी पूंछ काली दिखाई दे रही थी। विनता ने अपनी हार मान ली और कद्रू ने अपनी ही बहन को दासी बना लिया।

बाद गरुड़ का जन्म हुआ और उन्हें मालूम हुआ कि उनकी माता क्यों अपनी ही बहन कद्रू की दासी बनी है, तब उन्होंने कद्रू से कहा था कि आप मेरी माता किस तरह आजाद कर सकती हैं। मैं आपके लिए ऐसा क्या करूं कि मेरी मां को दासता से मुक्ति मिल जाए।

उस समय सभी नागों ने कहा कि तुम हमें अमृत कलश लाकर दे दो, इसके बाद तुम्हारी माता को हम स्वतंत्र कर देंगे। कद्रू की और नागों की बात पूरी करने के लिए गरुड़ अमृत कलश ले आए और अपनी माता विनता को दासता से मुक्ति दिला दी।

ये हैं सांपों से जुड़ी खास बातें…

पं. शर्मा के मुताबिक सांप के मुंह में बत्तीस दांत, एक जीभ जो दो हिस्सों में होती है। जहर वाली चार दाढ़ें होती हैं, जिन्हें मकरी, कराली, कालरात्री और यमदूती दाढ़ कहा जाता है।

एक सांप की उम्र अधिकतम एक सौ बीस साल होती है। इनकी मृत्यु के आठ कारण हो सकते हैं। सांप को इंसान, मोर, नेवला, बिल्ली, चकोर, शूकर और बिच्छु मार देते हैं। कभी-कभी किसी बडे जानवर के पैरों के नीचे दबने से भी कुछ सांपों की मौत हो जाती है। इन सभी से बचने के बाद कोई सांप एक सौ बीस वर्ष जीवित रह पाता है।

सांप का बच्चा जन्म के 25 दिन बाद से डंसने योग्य हो जाता है और उसके डंसने से मौत भी हो सकती है।

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