महर्षि वेदव्यास को भगवान विष्णु का अवतार माना गया है, एक बार महर्षि वेदव्यास हस्तिनापुर गए, उस समय गांधारी……….
महाभारत और श्रीमद् भागवद् कथा के रचियता महर्षि वेदव्यास भगवान विष्णु के अवतार माने गए हैं। इनका पूरा नाम कृष्णद्वैपायन था। इन्होंने ही वेदों का संपादन किया। इसलिए इनका नाम वेदव्यास पड़ा। इनके पिता महर्षि पाराशर और माता सत्यवती थीं। पैल, जैमिन, वैशम्पायन, सुमन्तु मुनि, रोमहर्षण आदि महर्षि वेदव्यास के महान शिष्य थे।
एक बार महर्षि वेदव्यास हस्तिनापुर गए। उस समय गांधारी और धृतराष्ट्र ने उनकी बहुत सेवा की थी। उनकी सेवा से प्रसन्न होकर महर्षि ने सौ पुत्रों की माता होने का वरदान गांधारी को दिया था।
कुछ समय बाद जब गांधारी गर्भवती हुईं। जब संतान के जन्म का समय आया तो संतान की जगह एक मांस पिंड प्रकट हुआ। जब ये बात वेदव्यास जी को मालूम हुई तो वे तुरंत गांधारी के पास पहुंचे। वेद व्यास जी ने अपनी विद्या से उस मांस पिंड से सौ पुत्र बना दिए। गुरु की कृपा से गांधारी सौ पुत्रों की माता बन गई।
सीख – गुरु की कृपा हो जाती है तो असंभव काम भी पूरा हो जाता है।