महावीर स्वामी जब ध्यान कर रहे थे तो तभी एक ग्वाला अपनी गायें स्वामी जी के पास छोड़ गया और बोला कि मुनिश्री मेरी गायों की देखभाल करना, मैं गांव में दूध बेचकर…..
महावीर स्वामी जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे, जिन्होंने कई ऐसे बातें बताईं जो सुखी और सफल जीवन के लिए जरूरी हैं। हम आपको महावीर स्वामी के जीवन से जुड़ा एक प्रसंग बता रहे हैं। एक दिन महावीर स्वामी एक पेड़ के नीचे बैठे हुए ध्यान में थे, तभी एक ग्वाला उनके पास आकर बोला कि मुनि श्री में गांव में दूध बेच कर आता हूं। लेकिन मेरे लौटने तक आप मेरी गायों का ध्यान रखना।
उन्होंने उस ग्वाले को कोई जवाब नहीं दिया। वह ग्वाला अपनी गाय उनके पास छोड़कर गांव में चला गया। कुछ देर बाद जब ग्वाला दूध बेचकर वापस उनके पास लौटा तो उसने देखा कि मुनि श्री के आसपास उसकी गाय नहीं है। उसने महावीर स्वामी से पूछा कि मेरी गाय कहां है तो स्वामी जी ने उसे कोई भी उत्तर नहीं दिया। वह ग्वाला जंगल में गायों को ढूंढने लगाय। लेकिन उसे गाय नहीं दिखी।
ग्वाला फिर से महावीर स्वामी के पास लौट कर आया और उसने देखा की गायें स्वामी जी को घेरकर खड़ी हुई है। थका हुआ ग्वाला गुस्से में आ गया और सोचने लगा कि मुनि ने मुझे परेशान करने के लिए इन गायों को छुपा दिया था और अब सभी गायों को यहां लेकर आ गया।
यह सोचकर ग्वाले ने बंधी रस्सी खोली और स्वामी को मारने के लिए दौड़ा। तभी वहां एक दिव्य पुरुष प्रकट हुए, जिन्होंने ग्वाले से कहा- मूर्ख रुक जा। ऐसा पाप मत कर। तूने बिना स्वामी जी का उत्तर सुने अपनी गाय उनके पास छोड़ दी थी। वे उस समय ध्यान में थे और अभी भी ध्यान में है।
तुझे तेरी गाय मिल गई तो फिर क्यों इतना गुस्सा कर रहा है। मूर्खता मत कर। यह भावी तीर्थंकर है। दिव्य पुरुष की बात सुनकर ग्वाला महावीर स्वामी के चरणों में जाकर बैठ गया और उसे अपनी गलती का पछतावा हुआ।
कथा की सीख
इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि जब तक हमें पूरी बात ना हो हमें क्रोध नहीं करना चाहिए। नहीं तो पछताना पड़ता है।