ये हैं वो भारतीय क्रिकेटर जो राजा-महाराजाओं के घराने से रखते हैं ताल्लुक, जानिए
क्रिकेट इतिहास में एक से बढ़कर एक बेहतरीन खिलाड़ी रहे. कई राजा और युवराज ने भी क्रिकेट खेला. इंग्लैंड का शाही परिवार अपना समय बिताने के लिए सबसे पहले क्रिकेट खेला करता था. धीरे-धीरे क्रिकेट के खेल में बदलाव हुआ और यह खेल इंग्लैंड से निकलकर भारत और इंग्लैंड के राजाओं के बीच भी खेला जाने लगा. आज हम आपको उन क्रिकेटरों के बारे में बताने जा रहे हैं जो कि रॉयल फैमिली से ताल्लुक रखते थे.
नवाब पटौदी जूनियर
2011 में मंसूर अली खान पटौदी का निधन हो गया. वो पहले ऐसे कप्तान थे जिन्होंने अपनी प्रभाव से विभिन्न संस्कृतियों से जुड़े खिलाड़ियों को बुलाया. एक कार दुर्घटना में नवाब पटौदी की आंख की रोशनी चली गई थी. इसके बावजूद वह अपने पिता के नक्शे कदम पर आगे बढ़े.
रणजी सिंह जी
रणजीत सिंह मशहूर राजा थे जो कि क्रिकेट प्रेमी थे. उन्हीं के नाम पर आज भारत में रणजी ट्रॉफी टूर्नामेंट आयोजित किया जाता है.
एमपी बाजना
1911 में एमपी बाजना ने ऑल इंडिया के साथ इंग्लैंड का दौरा किया था. इस दौरे से पहले वह कूचबिहार के महाराजा के यहां नौकरी करते थे. कूच बिहार के महाराजा के बेटे केएच नारायण ने भी 1909 और 1910 में कुछ मैच खेले थे. बाजना और नारायण की जोड़ी को प्रिंस और पायजामा कहा जाता था.
हनुमंत सिंह
पूर्व भारतीय दाएं हाथ के बल्लेबाज हनुमंत सिंह ने 60 के दशक में इंग्लैंड के खिलाफ दिल्ली में अपने करियर की शुरुआत की थी. वो राजस्थान के बांसवाड़ा के महाराजा के बेटे थे. उन्होंने नवाब पटौदी के साथ भी क्रिकेट खेला.
पोरबंदर के महाराज
प्रोटोकॉल की मांग के हिसाब से टीम इंडिया के पहले इंग्लैंड दौरे के लिए कप्तान के रूप में प्रिंस की जरूरत थी. पर्दे के पीछे की राजनीति के बाद यह जिम्मेदारी पोरबंदर के महाराज को सौंपी गई. ता सिर्फ इस बात की थी उन्हें पूर्ण क्रिकेटर नहीं कहा जा सकता। अच्छी बात यह है कि खुद महाराज भी इस बात को जानते थे. उन्होंने सिर्फ प्रथम श्रेणी मैच खेले. उन्होंने एकमात्र टेस्ट से भी हटने का फैसला किया. जिसमें कर्नल सीके नायडू ने कप्तानी की.
विजियानाग्राम के महाराज
भारतीय टीम की कप्तानी 1936 में विजियानाग्राम के महाराज ने संभाली थी. उन्होंने भारत की ओर से तीन टेस्ट मैच खेले, जिसकी छह पारियों में 33 रन बनाए.