राजा का सबसे प्रिय हाथी बुढ़ा हो गया था, एक दिन वह दलदल में फंस गया, बहुत कोशिश करने के बाद भी उसे बाहर नहीं निकाला जा सका, तब मंत्री ने राजा से कहा यहां ढोल नगाड़े…..
ये पुराने समय की बात है जब एक राजा के पास बहुत शक्तिशाली हाथी था। राजा ने इस हाथी के साथ कई युद्ध लड़े थे। हाथी राजा का बहुत आज्ञाकारी था। वह राजा की सभी बातें मानता था। हाथी स्वामी भक्त और बहुत समझदार था। जब हाथी बूढा हो गया तो राजा ने उसे युद्ध में ना ले जाने का निर्णय लिया। राजा ने हाथी की देखभाल में कोई भी कमी नहीं रखी। लेकिन हाथी बहुत ही उदास रहने लगा, क्योंकि उसको युद्ध में नहीं लिया ले जाया जाता था।
जब एक दिन वह हाथी राजा के सरोवर में पानी पीने गया तो वहां पर वह दलदल में फंस गया। उसने लाख कोशिशें की कि वह दलदल से बाहर निकल आए। लेकिन वह कामयाब नहीं हुआ। हाथी जोर-जोर से चिल्लाने लगा। राजा के सेवकों को जब हाथी की आवाज सुनाई दी तो वह दलदल के पास पहुंच गए। उन्होंने देखा कि हाथी दलदल में से नहीं निकल पा रहा है।
राजा को यह खबर मिली तो वह भी दलदल के पास आ गया। सैनिकों ने हाथी को निकालने की बहुत कोशिश की। लेकिन उसे नहीं निकाल पाए। राजा ने अपने मंत्री को बुलाया। मंत्री उस हाथी को बहुत अच्छी तरह से जानता था। मंत्री ने राजा से कहा कि आप यहां पर युद्ध में बजने वाले ढोल नगाड़े बजवाएं। राजा ने मंत्री की बात मानकर ऐसा ही किया और वहां पर ढोल नगाड़े बजवाना शुरू कर दिया।
युद्ध में बजने वाले ढोल नगाड़े की आवाज सुनकर हाथी तुरंत खड़ा हो गया। उसने दलदल से बाहर निकलने के लिए पूरी ताकत लगा दी। कुछ ही देर बाद हाथी दलदल से बाहर भी निकल आया। राजा को इस बात का आश्चर्य होने लगा कि हाथी आखिरकार बाहर कैसे निकल आया।
मंत्री ने इसका जवाब देते हुए राजा को कहा कि आप इस हाथी को हर युद्ध में अपने साथ ले जाते थे। लेकिन वृद्ध हो जाने के कारण आपने इसे युद्ध में ले जाना बंद कर दिया। वह उदास रहने लगा। इसके जीवन से उत्साह खत्म हो गया। लेकिन जब युद्ध में बजने वाले ढोल नगाड़े बजाए गए तो हाथी को लगा कि मुझको युद्ध पर जाना है और राजा को मेरी जरूरत है। हाथी ने यह सोच कर पूरी ताकत लगा दी। उसका उत्साह बढ़ गया और वह दलदल से बाहर निकल आया।