राजा के दरबार में एक बहुत विद्वान पंडित था, राजा भी उस पंडित की बुद्धिमानी से बहुत प्रभावित थे, एक दिन राजा भरे दरबार में……
राजा के दरबार में एक विद्वान पंडित रहता था। राजा भी उस पंडित से बहुत ही प्रभावित थे। उन्होंने एक दिन अपने उस पंडित से पूछा कि आप इतने बुद्धिमान है। लेकिन आपका पुत्र इतना मूर्ख क्यों है। पंडित को सुनकर बहुत ही आश्चर्य हुआ। उसने पूछा कि आप ऐसा क्यों कह रहे हैं।
राजा ने कहा जब मैंने उससे पूछा कि चांदी और सोने में से क्या चीज महंगी है तो उसने बताया चांदी महंगी है। उसको यह तक नहीं पता कौन-सी चीज महंगी है। इस वजह से पूरा दरबार उस पंडित पर हंसने लगा। पंडित को बहुत बुरा अनुभव हुआ। वह बिना कुछ कहे अपने घर पर वापस आ गया।
जब वह पंडित अपने घर पर गया तो अपने बेटे से पूछा कि सोने और चांदी में क्या चीज मांगी है तो उसने जवाब दिया सोना। उसने अपने पुत्र से कहा कि तुम सही जवाब जानते थे तो राजा को गलत जवाब क्यों दिया। पुत्र ने अपने अपने पिता को बताया कि हर रोज राजा सुबह के वक्त प्रजा से मिलने आते हैं। मैं भी वहां जाता हूं।
राजा हर रोज मेरे सामने एक सोने और एक चांदी का सिक्का रखते हैं और कहते हैं कि जो भी सिक्का मूल्यवान है उसे ले जाओ। इसी वजह से मैं हर रोज चांदी का सिक्का ले आता हूं। इस वजह से प्रजा मेरा मजाक उड़ाती है। पंडित ने कहा तुम्हें पता है तो फिर तुम सोने का सिक्का क्यों नहीं लाते।
पुत्र पिता के कमरे में गया और उन्हें संदूक खोलकर दिखाई तो पिता को पता चला कि संदूक में ढेर सारे चांदी के सिक्के हैं। पुत्र ने कहा कि पिताजी जो सिक्के राजा मुझे हर रोज देते हैं,ये सब वही हैं। यदि मैं राजा के सामने से सोने का सिक्का उठा लूंगा तो वह मुझे सिक्का देना बंद कर देंगे। इसीलिए मैं चांदी का सिक्का उठाता हूं। यह कोई मूर्खता नहीं बल्कि समझदारी है। पंडित को भी समझ आ गया कि उसका बेटा मूर्ख नहीं बहुत चालाक है।
अगले दिन पंडित दरबार में पहुंच गया। उसने राजा को संदूक दिखाई और पूरी बात बता दी। राजा ने पंडित के बेटे की जमकर प्रशंसा की और उसको सोने के सिक्कों से भरा एक संदूक उपहार के रूप में दे दिया।
कहानी की सीख
इस कहानी से हमें सीखने को मिलता है कि किसी भी व्यक्ति को अपनी शक्ति का दिखावा नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से हमेशा नुकसान झेलना पड़ता है।