व्याघ्रपाद ऋषि के एक पुत्र था जिसका नाम था उपमन्यु, एक दिन बालक उपमन्यु ने अपनी मां से पीने के लिए दूध मांगा, उस समय घर में दूध नहीं था, माता ने चावल का आटा पानी में घोला और बच्चे को पीने के लिए……..
पुराने समय में व्याघ्रपाद नाम के एक ऋषि थे। उनके पुत्र का नाम था उपमन्यु। इस बालक ने एक दिन अपनी मां से दूध मांगा, उस समय घर में दूध नहीं था।
माता ने चावल का आटा पानी में घोला और बच्चे को पीने के लिए दे दिया। उपमन्यु ने थोड़ा सा पिया और कहा, ‘मां ये दूध नहीं है।’
मां ने कहा, ‘हम तपस्वी लोग हैं। हमारे पास इतना साधन नहीं है कि हम दूध खरीद सके। अगर तूझे दूध चाहिए और तूझे दूध बहुत पसंद है तो भगवान शिव को प्रसन्न कर।’
मां ने तो सहज रूप में ये बात कही थी, लेकिन बच्चे ने पूछा, ‘भगवान कैसे मिलेंगे?’
माता बोली, ‘ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप कर।’ इसके बाद मां की आज्ञा और तप का भाव दोनों जुड़ गए तो उपमन्यु ने घोर तप करना शुरू कर दिया।
बच्चे का तप देखकर शिव जी को लगा कि अब मुझे इस बालक को दर्शन देना होंगे। वे इंद्र बनकर उपमन्यु की परीक्षा लेने पहुंचे। इंद्र ने शिव जी की निंदा की तो उपमन्यु ने अपनी तपस्या की शक्ति से इंद्र को दंड देने का प्रयास किया। उसने कहा, ‘मैं शिव जी की आलोचना नहीं सुन सकता, मैं प्राण त्याग दूंगा।’
उपमन्यु की भक्ति से प्रसन्न होकर शिव जी प्रकट हुए और कहा, ‘मैं बहुत प्रसन्न हूं। बोलो, क्या मांगना चाहते हो?’
उपमन्यु को याद आया कि उसने तो दूध पाने के लिए तप किया था, लेकिन जब शिव जी स्वयं आ गए हैं तो क्या मैं इनसे केवल दूध मांगू?’ उपमन्यु ने सोचा कि देने वाला कौन है, मांगने वाली वस्तु उस हिसाब से तय करनी चाहिए।
उपमन्यु बोला, ‘मैंने तो आपसे दूध प्राप्त करने के लिए तप किया था, लेकिन आपके दर्शन होने के बाद मुझे दूध की कामना नहीं है। आप तो ऐसा करें कि मेरी भक्ति सदैव आप में बनी रहे, ऐसा वर दीजिए।’
शिव जी प्रसन्न हुए और कहा, ‘दूध तो तुम्हें मिल ही जाएगा, लेकिन आज से संसार में तुम्हें तेजस्वी और यशस्वी के रूप में जाना जाएगा। मैं ये वरदान देता हूं।’
इसी उपमन्यु ने द्वापर युग में श्रीकृष्ण को शिव मंत्र की दीक्षा दी थी।
सीख – बड़े अभियान हाथ में लेना चाहिए, भले ही इच्छा छोटी हो, लेकिन जिस दिन हमारी मेहनत और तपस्या सफल हो जाए तो छोटी-छोटी कामनाओं को छोड़ देना चाहिए। जैसे शिव जी मिले तो उनसे दूध क्या मांगना? उनसे तो कुछ ऐसा मांगना चाहिए जो सिर्फ वे ही दे सकते हैं। किसी से कुछ मांगते समय हमेशा ध्यान रखें कि देने वाला कौन है और उससे कौन सी वस्तु मांगी जा सकती है।