शांति नाम की एक महिला थी, स्वभाव से वो बहुत क्रोधी थी, जब भी वह गुस्से में होती तो छोटा-बड़ा कुछ नहीं देखती, उसके मुंह में जो आता……

एक गांव में शांति नाम की महिला थी, जो बहुत क्रोध करती थी। वह गुस्से में किसी को नहीं देखती और हर किसी को उल्टा सीधा बोल देती। उसकी इस आदत से उसके परिवार वाले और गांव के लोग बहुत परेशान थे। लेकिन क्रोध शांत होने पर उसको अपनी गलती पर बहुत पछतावा होता।

जे

शांति नाम की महिला बड़े ही क्रोधी स्वभाव की थी, जब वह गुस्से में होती तो छोटा-बड़ा कुछ भी नहीं देखती थी, उसके मुंह में जो कुछ भी आता वह बोल देती, उसकी इन आदतों से उसके परिवार वाले और गांव के लोग बहुत परेशान

एक दिन वह नगर के प्रसिद्ध संत के पास गई। शांति ने संत को बताया कि गुरुजी मेरे क्रोध करने की आदत ने मुझे सबसे दूर कर दिया है। मैं अपने व्यवहार में बदलाव नहीं ला पा रही हूं। आप कोई उपाय बताएं, ताकि मैं अपना क्रोध शांत कर सकूं।

संत ने उसे एक शीशी दी और कहा कि अगर तुम इस दवा को पिओगी, तो तुम्हारा क्रोध शांत हो जाएगा। जब भी तुम्हें क्रोध आए तो तुम इसे मुंह में लगाकर पीना और तब तक पीती रहना जब तक क्रोध शांत ना हो जाए। एक हफ्ते में तुम्हारा क्रोध बिल्कुल शांत हो जाएगा। अब शांति ने बिल्कुल ऐसा ही किया और 1 सप्ताह में उसका क्रोध कम होने लगा।

फिर वह संत के पास गई और उनसे कहा कि गुरु जी आपने मुझे जो दवाई दी थी, वह तो चमत्कारी थी। उसने मेरे क्रोध को कम कर दिया है। कृपया आप दवाई का नाम बताएं। संत ने उससे कहा कि इस शीशी में कोई दवाई नहीं थी, बल्कि साधारण पानी था।

क्रोध के समय तुम्हें अपनी वाणी पर नियंत्रण रखना था और मौन रहना था। इसी वजह से मैंने तुम्हें यह शीशी दी, ताकि शीशी को मुंह पर लगाने के बाद तुम कुछ बोल ना पाओ और सामने वाले व्यक्ति तुम्हारे कटु वचनों से बच गए। तुमने किसी को भी पलटकर कोई जवाब नहीं दिया। अगर हमें क्रोध आए तो हमें मौन रहने से फायदा होता है और बात वहीं खत्म हो जाती है।

कथा की सीख

इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि जब भी हमें क्रोध आए तो हमें मौन हो जाना चाहिए। इससे हम कटु वचन नहीं बोलेंगे और लड़ाई-झगड़ा भी नहीं होगा।

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *