संत के घर में खाने के लिए कोई भी चीज नहीं थी तो उसने एक गरीब को गिलास दे दिया, जब संत की पत्नी को यह मालूम पड़ा तो उसने बताया कि तुमने गलती से चांदी का गिलास उस गरीब……
एक संत का दरवाजा एक गरीब ने खटखटाया। संत ने दरवाजा खोला तो गरीब ने उनसे कुछ खाने के लिए मांगा। संत घर में गए। लेकिन उन्हें खाने की कोई चीज नहीं मिली तो उन्होंने अपनी रसोई से बर्तन उठाकर उस गरीब व्यक्ति को दान कर दिया।
वह गरीब व्यक्ति बर्तन लेकर वहां से चला गया। जब संत की पत्नी को यह बात पता चली तो उसने चिल्लाकर कहा कि वह बर्तन चांदी का था। आपने ऐसा क्यों किया। यह बात सुनकर संत दौड़कर गरीब के पास पहुंचे और उससे कहा कि यह गिलास चांदी का है, इसे कम कीमत में मत बेचना।
संत खाली हाथ घर लौटकर पहुंचे तो उनकी पत्नी ने पूछा कि आप बर्तन नहीं लाए, लेकिन फिर भी आप मुस्कुरा रहे हैं। संत ने अपनी पत्नी से कहा कि हमें इतना भी नुकसान हो जाए। लेकिन हमें दुखी और निराश नहीं होना चाहिए। मैं बस इसी बात पर अम्ल कर रहा हूं।
मैंने अनजाने में उस व्यक्ति को कीमती वस्तु दे दी। लेकिन दिया हुआ दान कभी वापस नहीं लिया जाता। हां मुझे पता है, नुकसान हुआ है। लेकिन मैं इस नुकसान के लिए दुखी नहीं हूं, क्योंकि हमें हर परिस्थिति में खुश रहने की कोशिश करनी चाहिए।
कथा की सीख
इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि जीवन में लाभ और हानि तो होते रहते हैं। लेकिन हमें हर परिस्थिति में खुश रहने की कोशिश करनी चाहिए।