संत तुकाराम रोजाना अपने शिष्यों को उपदेश देते थे, आसपास के गांवों के लोग भी उनके प्रवचन सुनने के लिए आते थे, उनकी प्रसिद्धि आसपास के क्षेत्रों में काफी बढ़ गई थी……….
जीवन को सुखी बनाए रखने के लिए हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, इस संबंध में संत तुकाराम की एक कथा प्रचलित है। इस कथा में बताया गया है कि विरोधियों के साथ हमें कैसा व्यवहार करना चाहिए…
प्रचलित लोक कथा के अनुसार संत तुकाराम अपने शिष्यों को रोज उपदेश देते थे। शिष्यों के साथ ही आसपास के गांवों के लोग भी उनके घर प्रवचन सुनने आते थे। आसपास के क्षेत्रों में उनकी प्रसिद्धि काफी बढ़ गई थी। संत तुकाराम का एक पड़ोसी उनसे जलन की भावना रखता था, वह रोज प्रवचन सुनने भी आता था। पड़ोसी संत तुकाराम को नीचा दिखाने का मौका खोजता रहता था।
एक दिन संत तुकाराम की भैंस उस पड़ोसी के खेत में चली गई और भैंस की वजह से पड़ोसी की बहुत सारी फसल खराब हो गई। इससे पड़ोसी को बहुत गुस्सा आ गया। वह गुस्से में संत तुकाराम के घर गया और गालियां देने लगे। जब तुकाराम ने गालियों का जवाब नहीं दिया तो उसे और ज्यादा गुस्सा आया। पड़ोसी ने एक डंडा उठाया और संत की पिटाई कर दी। इतना होने के बाद भी तुकाराम चुप रहे। अंत में पड़ोसी थककर अपने घर चला गया।
अगले दिन जब तुकाराम प्रवचन दे रहे थे, तब वह पड़ोसी नहीं आया। वे तुरंत ही उसके घर गए और भैंस की वजह से हुए नुकसान की माफी मांगने लगे और प्रवचन में आमंत्रित करने लगे। तुकाराम की सहनशीलता और ऐसा स्वरूप देखकर वह पड़ोसी उनके पैरों में गिर पड़ा और क्षमा मांगने लगा। तुकाराम ने पड़ोसी को उठाया और गले लगा लिया। पड़ोसी को समझ आ गया कि संत तुकाराम उनके ज्ञान और व्यवहार की वजह से महान हैं।
कथा की सीख
क्रोध का जवाब क्रोध से देने पर हमारे रिश्ते और ज्यादा बिगड़ जाते हैं। अगर कोई व्यक्ति क्रोधित है तो हमें शांति से काम लेना चाहिए। एक ही समय पर दोनों लोग गुस्सा करेंगे तो वाद-विवाद ज्यादा बढ़ेगा और रिश्ते बिगड़ जाएंगे। इसीलिए गुस्से का जवाब गुस्से से न दें।