संत ने अपने एक शिष्य से पुस्तक को कमरे में रखकर आने के लिए कहा, शिष्य जब कमरे में पहुंचा तो वहां उसे एक सांप दिखाई दिया……
काशी में गंगा किनारे एक संत का आश्रम था, जहां वे अपने शिष्यों के साथ रहते थे। एक दिन संत से उनके एक शिष्य ने पूछा कि गुरुवर, शिक्षा का महत्व क्या है। जीवन के लिए इसकी क्या आवश्यकता है, तो संत ने मुस्कुराकर कहा- एक ना एक दिन तुम्हें इस प्रश्न का उत्तर मिल जाएगा। कुछ समय बाद संत ने उसी शिष्य को बुलाया और एक पुस्तक देकर कहा- तुम इसको मेरे कमरे में रख दो।
शिष्य वह पुस्तक लेकर गुरु के कमरे में गया। लेकिन तुरंत ही वापस लौट आया और डर से कांप रहा था। जब संत ने उससे डर का कारण पूछा तो उसने कहा- गुरुवर, आपके कमरे में सांप है। संत ने उससे कहा- तुम्हें जरूर भ्रम हुआ होगा। मेरे कमरे में सांप कहां से आएगा। फिर भी तुम डंडा लेकर जाओ और दूर से ही सांप को भगाने का प्रयास करो। सांप वहां होगा तो चला जाएगा।
शिष्य दोबारा कमरे में डंडा लेकर गया और उसने सांप को फटकारा। लेकिन सांप अपनी जगह से इधर-उधर बिल्कुल भी नहीं हिला। जब यह बात शिष्य ने अपने गुरु के बताई तो संत ने उससे कहा कि तुम दीपक लेकर जाओ तो दीपक के प्रकाश से भाग जाएगा। शिष्य इस बार दीपक लेकर गया तो उसे रोशनी में दिखाई दिया कि वो जिससे डर रहा था, वह एक रस्सी थी। लेकिन उसे अंधेरे में सांप नजर आया।
जब उसने गुरु को यह बात बताई तो संत ने उससे कहा कि संसार भी इसी तरह अंधकारमय है और ज्ञान के अभाव में हम रस्सी को सांप समझ लेते हैं। शिक्षा के प्रकाश से हम भ्रम से मुक्त हो जाते हैं। यही शिक्षा का महत्व है। अब शिष्य शिक्षा के महत्व को समझ चुका था।
लाइफ मैनेजमेंट
जीवन में शिक्षा बहुत उपयोगी है। शिक्षा के बिना मनुष्य एक जानवर की तरह है, क्योंकि जानवर को भी किसी चीज का ज्ञान नहीं होता। शिक्षा के जरिए ही कठिन से कठिन परिस्थितियों से भी छुटकारा पाया जा सकता है। शिक्षा ही अच्छे-बुरे का ज्ञान मनुष्य को करवाती है।