समन और वारंट में क्या अंतर होता है क्या आपको पता है?अगर नहीं तो जरूर जान लें काम की है जानकारी

आप सभी लोगों ने समन और वॉरेंट के बारे में तो सुना ही होगा। इन दोनों शब्दों का उपयोग अदालत में किया जाता है। लेकिन इन दोनों में अंतर क्या होता है। यह शायद आप लोगों को नहीं पता होगा। तो आज हम आपको यही बताने वाले हैं। कि समन और वारंट में क्या अंतर होता है।

समन.

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दरअसल समन उसे कहते हैं। जब किसी पीड़ित की ओर से किसी प्रतिवादी के खिलाफ अदालती कार्यवाही की जाती है। तो उस कार्रवाई को अदालती भाषा में समन कहा जाता है।

इसके साथ ही आपको बता दें कि समन किसी सिविल या अपराधिक कार्यवाही के मामले में ही जारी किया जाता है। अगर किसी के खिलाफ समन निकल जाता है। तो उस व्यक्ति को अदालत में उपस्थित होना होता है। या किसी तरह के दस्तावेज को अदालत में पेश करने का आदेश भी होता है।

वॉरेंट

वही वॉरेंट एक तरह का कानूनी आदेश होता है। वॉरेंट जज या मजिस्ट्रेट के द्वारा ही जारी किया जाता है। वॉरेंट के जरिए ही पुलिस को आदेश दिया जाता है। फिर पुलिस उस आदेश का पालन करते हुए। उस व्यक्ति को पकड़े या फिर उस व्यक्ति के घर को जप्त करें या फिर उसके घर की पूरी तलाशी ले और जो भी जरूरी कदम उठाने हो वह उठा सके। अगर पुलिस किसी के घर पर छानबीन करती है, वह भी बिना वारंट के। तो यह उस व्यक्ति के मूल अधिकारों का उल्लंघन होता है।

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि किसी भी तरह की अदालती कार्रवाई के तहत अपराधी को पहले समन भेजा जाता है। और उस समन मैं यह कहा जाता है। कि उसे इस निर्धारित तारीख पर और इस समय पर अदालत में उपस्थित होना है।

वही व्यक्ति अदालत के द्वारा जारी किए गए समन को अनसुना कर देता है। और अदालत में निर्धारित तारीख और समय पर उपस्थित नहीं होता है। तो अदालत उसके खिलाफ वारंट जारी कर देता है। जिसके बाद पुलिस अपना काम करती है। पुलिस उस व्यक्ति को पकड़ने के लिए उसके घर, दुकान, ऑफिस जहां भी बह व्यक्ति मिले वहां पर छापेमारी करती है।

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