सीख; एक असुर जंगली सूअर बनकर पहुंच गया और वह अर्जुन को मारना चाहता था, अर्जुन ने सूअर को देखा तो अपने धनुष पर बाण चढ़ा दिया, उसी समय वहां एक वनवासी आ गया, वनवासी ने अर्जुन को…….

महाभारत की कथा है। कौरव और पांडवों का युद्ध तय हो चुका था। उससे पहले अर्जुन शिव जी को प्रसन्न करने के लिए तप कर रहे थे। वे दिव्यास्त्र पाना चाहते थे। उस समय वहां एक असुर जंगली सूअर बनकर पहुंच गया और वह अर्जुन को मारना चाहता था।

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अर्जुन ने सूअर को देखा तो अपने धनुष पर बाण चढ़ा दिया। उसी समय वहां एक वनवासी आ गया। वनवासी ने अर्जुन को बाण न छोड़ने के लिए कहा। वनवासी बोला की ये सूअर मेरा शिकार है, तुम इसे मत मारो, लेकिन अर्जुन ने उसकी बात नहीं मानी और बाण छोड़ दिया। वनवासी ने भी बाण छोड़ दिया। दोनों के बाण एक साथ सूअर को लगे।

इसके बाद दोनों उस सूअर पर अपना-अपना अधिकार बताने लगे। विवाद बढ़ा तो दोनों के बीच युद्ध शुरू हो गया। बहुत कोशिशों के बाद भी अर्जुन उस वनवासी को पराजित नहीं कर पा रहे थे। जब वनवासी के बाण अर्जुन को लगे तो वह प्रहार सहन नहीं सके। अर्जुन बेहोश हो गए थे। कुछ देर बाद जब अर्जुन को होश आया तो उन्होंने मिट्टी से एक शिवलिंग बनाया और एक फूलों का हार पहनाया तो वह हार वनवासी के गले में दिखाई देने लगा।

अर्जुन समझ गए कि ये वनवासी शिव जी ही हैं। इसके बाद अर्जुन ने शिव जी की आराधना की। शिवजी भी अर्जुन के पराक्रम से प्रसन्न हुए और पाशुपतास्त्र दिया। शिव जी अर्जुन को समझाया कि कभी भी किसी को कमजोर न समझें और अपनी शक्तियों का घमंड नहीं करना चाहिए।

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