सीख; एक चोर को पता चला कि संत के पास एक हीरा है, वह हीरा चुराने के लिए तुरंत संत के आश्रम में गया, उसने सोचा कि संत को बिना नुकसान पहुंचाए हीरा चुराना है, इसीलिए उसने……
पुरानी लोक कथा के अनुसार एक संत के पास मूल्यवान हीरा था। एक चोर को ये बात मालूम हुई तो हीरा चुराने के लिए वह संत के आश्रम में गया। चोर ने सोचा कि संत को नुकसान पहुंचाए बिना ही हीरा चुराना है। इसीलिए उसने संत से कहा कि वह उनका शिष्य बनना चाहता है। संत ने कहा कि ठीक आज से तुम यहीं रहो।
> इसके बाद चोर हीरा चुराने का मौका ढुंढने लगा। संत जब भी आश्रम से बाहर जाते, चोर हीरा खोजना शुरू कर देता है। कई दिनों के प्रयास के बाद भी चोर हीरा खोज नहीं पा रहा था। एक दिन उसने संत को सच्चाई बता दी। उसने संत से कहा कि मैं एक चोर हूं और आपका हीरा चुराने यहां आया हूं। मैं आपका पूरा आश्रम खोज लिया, लेकिन मुझे हीरा मिला नहीं। मैं जानना चाहता हूं कि आप हीरा कहां छिपाते हैं?
> संत ने कहा कि भाई मैं जब भी बाहर जाता था तब हीरा तुम्हारे बिस्तर के नीचे रख देता था। तुम मेरा बिस्तर, कमरा अच्छी खोजते थे, लेकिन अपना बिस्तर नहीं देखते थे। इसीलिए तुम्हें हीरा नहीं मिला। हम भगवान को खोजने के लिए इधर-उधर भटकते रहते हैं, लेकिन भगवान तो हमारे मन में ही वास करते हैं। अनजाने में व्यक्ति बाहर भटकता रहता है। इसी तरह व्यक्ति सुख की तलाश में नई-नई चीजों की खोज घर के बाहर करता है, जबकि व्यक्ति उन चीजों में ही संतुष्ट रहना चाहिए जो उसके पास हैं। ये बातें सुनकर चोर का हृदय परिवर्तन हो गया और वह संत का सच्चा शिष्य बन गया।
कथा की सीख
इस कथा की सीख यही है कि हमें भगवान को खोजने के लिए मंदिर-मंदिर नहीं भटकना चाहिए। भगवान हमारे मन में ही विराजमान हैं। इसीलिए गलत कामों से बचें और सच्चे मन से ध्यान करेंगे तो भगवान की कृपा मिल सकती है। यही सुख का रहस्य है।