सीख; एक दिन श्रीकृष्ण और अर्जुन नजर का भ्रमण कर रहे थे, तभी अर्जुन की नजर एक भिखारी पर पड़ी, अर्जुन ने उससे पूछा, ‘आप ब्राह्मण होकर भीख क्यों मांग रहे हैं, ये देखकर मुझे दुख……..

एक दिन श्रीकृष्ण और अर्जुन घूम रहे थे। उस समय अर्जुन की नजर एक भिखारी पर पड़ी, वह एक ब्राह्मण था। अर्जुन ने उससे कहा, ‘आप ब्राह्मण होकर भीख मांग रहे हैं, ये देखकर मुझे दुख हो रहा है। आपकी स्थिति जैसी भी है, मैं आपको धन दे रहा हूं। ये आपके काम आएगा।’

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इसके बाद अर्जुन ने श्रीकृष्ण से कहा, ‘मुझे अच्छा लगता है, जब मैं दूसरों की मदद करता हूं।’

ये सुनकर श्रीकृष्ण के चेहरे पर मुस्कान आ गई। अर्जुन जानते थे कि जब-जब श्रीकृष्ण के चेहरे पर मुस्कान आती है तो कुछ न कुछ रहस्य जरूर होता है।

अर्जुन से धन लेकर वह ब्राह्मण अपने घर जा रहा था, तभी रास्ते में एक लुटेरे ने उसे लूट लिया। अगले दिन फिर अर्जुन को वही ब्राह्मण भीख मांगते हुए दिखा। उस भिखारी ने अर्जुन को पूरी घटना बता दी। पूरी बात जानने के बाद अर्जुन ने उसे एक मूल्यवान रत्न दे दिया।

ब्राह्मण रत्न लेकर अपने घर पहुंचा। वह थक चुका था। उसने रत्न को एक घड़े में रख दिया और सो गया। घड़ा पुराना था। उसकी पत्नी को पानी भरने जाना था तो वह वही घड़ा लेकर नदी की ओर चल पड़ी। नदी से घड़े में पानी भरते समय वह रत्न नदी में गिर गया।

अगले दिन फिर से अर्जुन को वह ब्राह्मण भीख मांगते हुए दिखाई दिया। अर्जुन ने उससे पूछा, ‘अब आप भीख क्यों मांग रहे हैं?’

ब्राह्मण ने रत्न वाली पूरी बात श्रीकृष्ण और अर्जुन को बता दी। श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा, ‘आज तुम रहने दो, इसे मैं कुछ दे देता हूं।’ ऐसा कहकर श्रीकृष्ण ने उस ब्राह्मण को सिर्फ दो गिन्नियां दे दीं। इतनी कम राशि देखकर अर्जुन और वह ब्राह्मण हैरान थे। ब्राह्मण सोचने लगा कि ये श्रीकृष्ण हैं, फिर भी इतनी कम राशि दी है। श्रीकृष्ण के सम्मान में वह ब्राह्मण दो गिन्नियां लेकर आगे चल दिया।

रास्ते में ब्राह्मण ने देखा कि एक मछुआरा एक मछली को लेकर जा रहा है। ब्राह्मण ने सोचा कि इस तरह तो ये मछली मर जाएगी। उसने मछुआरे को दो गिन्नियां दीं और उससे मछली अपने कमंडल में ले ली। ब्राह्मण ने जैसे ही मछली को देखा तो उसने अपना मुंह खोल दिया। मछली के मुंह में वही मूल्यवान रत्न था। रत्न देखकर ब्राह्मण जोर से चिल्लाने लगा कि मिल गया, मिल गया।

उसी समय संयोग से वही लुटेरा वहां से गुजर रहा था, जिसने ब्राह्मण को लूटा था। उसने ब्राह्मण को शोर ‘मिल गया, मिल गया’ का शोर मचाते हुए सुना। लुटेरे ने सोचा कि इसने मुझे देख लिया है तो वह तुरंत ब्राह्मण के पास पहुंचा और माफी मांगते हुए उसका धन लौटा दिया।

अगले दिन जब बह ब्राह्मण श्रीकृष्ण और अर्जुन से मिला तो उसने पूरी घटना बता दी। तब अर्जुन ने श्रीकृष्ण से पूछा, ‘ये क्या घटना घटी है?’

श्रीकृष्ण ने कहा, ‘मैंने इसे भले ही बहुत कम राशि दी थी, लेकिन इसने उस राशि का उपयोग मछली के प्राण बचाने में किया था। जब हम अपने धन से दूसरों का भला करते हैं तो वह राशि कहीं न कहीं, हमारे लिए किसी न किसी रूप में सुरक्षित हो जाती है। इसलिए हम जितना भी कमाते हैं, उसमें से कुछ हिस्सा दूसरों की मदद के लिए जरूर निकालना चाहिए।’

सीख

अपनी योग्यता और परिश्रम से हम जो भी धन कमाते हैं, उसके कुछ हिस्से से जरूरतमंद लोगों की मदद जरूर करनी चाहिए। जब हम दूसरों की मदद करते हैं तो भगवान भी मुश्किल समय में हमारी मदद जरूर करते हैं।

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