सीख; एक दिन संत कबीर अपना काम कर रहे थे, काम करते समय वे भगवान का ध्यान भी कर लेते थे, पूरे दिन कबीरदास ऐसा ही करते थे, एक व्यक्ति उन्हें कई दिनों से देख रहा था, उसने कबीरदास से पूछा कि आप भक्त हैं, लेकिन…….

संत कबीर से जुड़ी कहानी है। कबीरदास जी के पास काफी लोग अपनी समस्याएं सुनाने आते थे। वे अपने उपदेशों से और कभी-कभी कुछ घटनाओं से दूसरों की समस्याओं के हल बता देते थे।

एक दिन वे अपना काम कर रहे थे। काम करते समय वे भगवान का ध्यान भी कर लेते थे। पूरे दिन कबीरदास ऐसा ही करते थे। एक व्यक्ति उन्हें कई दिनों से देख रहा था। उसने कबीरदास से पूछा कि आप भक्त हैं, लेकिन, मैं कई दिनों से देख रहा हूं कि आप हमेशा अपना काम करते रहते हैं तो फिर आप भक्ति कब करते हैं। आपको अलग से भक्ति करते हुए मैंने नहीं देखा।

कबीर दास जी ने उस व्यक्ति की बात सुनी और कहा कि इस प्रश्न का उत्तर मैं दूंगा, लेकिन अभी तुम मेरे साथ चलो। हम थोड़ा घूम आते हैं।

कबीर दास जी बात मानकर वह व्यक्ति उनके साथ चल दिया। रास्ते में उन्हें एक महिला दिखाई दी। वह महिला पानी भरकर लौट रही थी। उसके सिर पर पानी से भरा मटका रखा था और वह अपनी मस्ती में गीत गाते हुए जा रही थी। उस महिला ने मटके को पकड़ा भी नहीं था। उसके सिर पर मटका स्थिर था और उसका पानी भी नहीं छलक रहा था।

कबीर दास जी ने उस व्यक्ति से कहा कि ये महिला पानी लेकर जा रही है। सिर पर मटका रखा है, लेकिन उसने मटके पकड़ा भी नहीं है और गीत गाते हुए जा रही है। इसका ध्यान अपने मटके पर है, गाने पर भी है और रास्ते पर भी है।

कबीर जी ने उस व्यक्ति को आगे समझाया कि इस महिला की तरह ही मैं भी काम करते-करते भगवान का ध्यान कर लेता हूं, भक्ति कर लेता हूं। दुनियादारी के काम करते हुए भी मेरा मन भगवान की भक्ति में ही लगा रहता है। मैं ये काम भी कर लेता हूं और भक्ति भी कर लेता हूं। ठीक इसी तरह जीवन में संतुलन बहुत जरूरी है। हमें धन भी कमाना चाहिए और भक्ति भी करते रहना चाहिए।

संत कबीर की सीख

जब हमारे जीवन में संतुलन रहता है तो हमारा मन शांत रहता है और हमें सफलता मिलती है। कर्म करते समय भक्ति भी करेंगे तो सकारात्मकता बनी रहेगी और काम करने का साहस भी बना रहेगा।

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