सीख; एक बार महावीर स्वामी एक जंगल में तप कर रहे थे, उसी समय उस जंगल में कुछ अशिक्षित चरवाहे अपनी गायों को चराने आए, उस दिन चरवाहों ने महावीर स्वामी को बैठे हुए देखा, चरवाहे…….

महावीर स्वामी से जुड़े किस्सों में जीवन को सुखी और सफल बनाने के सूत्र बताए गए हैं। इन सूत्रों को अपनाने से हमारे जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

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एक किस्से के अनुसार महावीर स्वामी एक जंगल में तप कर रहे थे। उस जंगल में कुछ अशिक्षित चरवाहे अपनी गायों को चराने आया करते थे। उस दिन चरवाहों ने महावीर स्वामी को बैठे हुए देखा। चरवाहे तपस्या के बारे में नहीं जानते थे।

चरवाहे महावीर स्वामी को सताने लगे। कुछ ही देर में पास के गांव में ये बात फैल गई कि कुछ चरवाहे महावीर स्वामी को सता रहे हैं। गांव के कुछ विद्वान महावीर स्वामी को जानते थे। वे तुरंत ही जंगल में आ गए और चरवाहों को ऐसा करने से मना किया।

स्वामी जी के आसपास भीड़ लग गई थी। स्वामी जी ने अपनी आंखें खोलीं तो गांव के लोग चरवाहों की गलती पर क्षमा मांगने लगे। भगवान महावीर ने पूरी बात शांति से सुनी। उन्होंने कहा कि ये सभी चरवाहे भी मेरे अपने ही हैं। छोटे-छोटे बच्चे अपने माता-पिता का मुंह नोचते हैं, मारते हैं, इससे परेशान होकर माता-पिता बच्चों से नाराज नहीं होते हैं। मैं इन चरवाहों से नाराज नहीं हूं।

महावीर स्वामी ने हमें संदेश दिया है कि अगर किसी व्यक्ति से अनजाने में कोई गलती हो जाए तो उसे क्षमा कर देना चाहिए। दूसरों को क्षमा करने से हमारा मन शांत रहता है और जीवन में सुख बना रहता है।

गुरु हमें घमंड से बचाते हैं

एक राजा महावीर स्वामी से मिलने रोज जाता था। वे महावीर को कीमती आभूषण और अन्य उपहार देने की कोशिश करते था। स्वामी जी हर बार राजा से कहते थे, इन्हें गिरा दो। राजा उनकी आज्ञा मानकर वे चीजों वहीं गिरा कर लौट जाते थे।

कई दिनों तक ऐसे ही चलता रहा। एक दिन राजा ने अपने मंत्री को पूरी बात बताई। मंत्री बहुत बुद्धिमान था। उसने कहा कि आप इस बार खाली हाथ जाएं। फिर देखते हैं, वे क्या गिराने के कहते हैं।

जब राजा खाली हाथ गया तो महावीर स्वामी ने कहा कि अब खुद को गिरा दो। राजा को ये बात समझ नहीं आई। उसने महावीर स्वामी से कहा कि आपकी ये बातें मेरी समझ में नहीं आ रही हैं।

स्वामी जी ने कहा कि आप राजा हैं। आपको लगता है कि आप चीजें देकर किसी को भी जीत सकते हैं। मैंने आपको खुद को गिराने के लिए कहा तो इसका मतलब ये है कि आपके अंदर जो मैं यानी अहं का भाव है, उसे गिरा दो यानी घमंड छोड़ दो। राजा को बात समझ आ गई कि गुरु के सामने घमंड लेकर नहीं जाना चाहिए।

गुरु हमें घमंड से बचाते हैं। गुरु जानते हैं कि अहंकार नुकसान पहुंचाता है। घमंड की वजह से सबकुछ बर्बाद हो सकता है। इस बुराई को तुरंत छोड़ देना चाहिए।

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