सीख; एक विद्वान संत अपने शिष्य के साथ एक गांव से दूसरे गांव लगातार यात्रा करते रहते थे, एक बार वे एक गांव में रुके, संत ने गांव के बाहर अपनी कुटिया बनाई थी, गांव में ये बात फैल गई कि कोई संत हमारे गांव के बाहर रुके हैं……..
जो लोग दूसरों की बुरी बातों पर ध्यान देते हैं, वे अपने लक्ष्य से भटक सकते हैं। दूसरों की गलत बातों की वजह से हमारा आत्मविश्वास कमजोर हो सकता है। इस संबंध में एक लोक कथा प्रचलित है। यहां जानिए ये कथा…
कथा के अनुसार पुराने समय में एक विद्वान संत अपने शिष्य के साथ एक गांव से दूसरे गांव लगातार यात्रा करते रहते थे। कभी-कभी किसी गांव में कुछ दिनों के लिए रुक भी जाते थे। ऐसी एक यात्रा में संत अपने शिष्य के साथ एक गांव में रुके। संत ने गांव के बाहर अपनी कुटिया बनाई थी। गांव में ये बात फैल गई कि कोई संत हमारे गांव के बाहर रुके हैं। धीरे-धीरे उनके दर्शन के लिए लोग वहां पहुंचने लगे। संत विद्वान थे। वे गांव के लोगों को उनकी समस्याओं को समाधान बता रहे थे।
संत के प्रवचनों की वजह से बहुत ही कम समय में वे काफी प्रसिद्ध हो गए। संत की प्रसिद्धि देखकर गांव का एक ब्राह्मण चिंतित हो गया। ब्राह्मण सोच रहा था कि अगर लोग ऐसे ही संत के पास जाने लगे तो उसका वर्चस्व खत्म हो जाएगा। अपने इस डर की वजह से उसने गांव में संत की बुराई करना शुरू कर दी। वह संत के बारे बुरी बातें प्रचारित करने लगा। एक दिन संत के शिष्य को सारी बातें मालूम हुई। वह दुखी और क्रोधित हो गया। उसने अपने गुरु को पूरी बात बता दी।
संत ने उससे कहा कि हमें ऐसी बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। उस ब्राह्मण से लड़ाई करने के बाद भी ये बातें फैलना बंद नहीं होंगी। हमें सिर्फ अपने काम पर ध्यान देना चाहिए।
ये बातें सुनकर शिष्य संतुष्ट नहीं हुआ। संत समझ गए कि शिष्य का मन शांत नहीं हुआ है। उन्होंने एक प्रसंग शिष्य को बताया। संत बोले कि एक हाथी जंगल छोड़कर गांव में आ गया। गांव के कुत्ते हाथी को देखकर भौंक रहे थे, लेकिन हाथी अपने मस्त चाल में आगे बढ़ रहा था। उस पर कुत्तों के भौंकने का कोई असर नहीं हो रहा था। कुछ ही देर में कुत्ते थक गए और उन्होंने भौंकना बंद कर दिया।
हमें भी बुराई करने वाले लोगों से इसी तरह पेश आना चाहिए। हमें सिर्फ अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। अपना काम ईमानदारी से करते रहेंगे तो एक दिन लोगों को मालूम हो जाएगी कि हमारे लिए फैलाई गई बुरी बातें गलत हैं। शिष्य ये बातें सुनकर संतुष्ट हो गया और अपने काम में लग गया।
प्रसंग की सीख
इस प्रसंग की सीख यही है कि हमें भी उन लोगों पर ध्यान नहीं देना चाहिए जो हमारी बुराई करते हैं। बुरी बातों की वजह से हमारा ही आत्मविश्वास कमजोर हो सकता है। इसीलिए अपना काम ईमानदारी से करते रहें और आगे बढ़ते रहना चाहिए।