सीख; जब कर्ण के तीर अर्जुन के रथ पर लग रहे थे तो श्रीकृष्ण कर्ण की प्रशंसा कर रहे थे, लेकिन अर्जुन के तीरों पर कुछ नहीं कहते थे, श्रीकृष्ण से कर्ण की प्रशंसा…..
भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने के साथ ही अगर हम उनके उपदेशों को जीवन में उतार लेते हैं तो सारी समस्याएं दूर हो सकती हैं।
महाभारत का एक किस्सा है श्रीकृष्ण ने अर्जुन को समझाया था कि घमंड नहीं करना चाहिए और शत्रु को कभी भी छोटा नहीं समझना चाहिए। प्रसंग के अनुसार महाभारत युद्ध में अर्जुन और कर्ण आमने-सामने आ गए थे।
अर्जुन और कर्ण दोनों दिव्य अस्त्र-शस्त्रों से लड़ रहे थे। जब-जब अर्जुन के तीर के कर्ण के रथ पर लग रहे थे तो कर्ण का रथ बहुत पीछे खिसक जाता था। दूसरी ओर जब-जब कर्ण के तीर अर्जुन के रथ पर रखते तो उसका रथ थोड़ा सा ही पीछे खिसकता था।
जब कर्ण के तीर अर्जुन के रथ पर लग रहे थे तो श्रीकृष्ण कर्ण की प्रशंसा कर रहे थे, लेकिन अर्जुन के तीरों पर कुछ नहीं कहते थे। श्रीकृष्ण से कर्ण की प्रशंसा सुनकर अर्जुन से रहा नहीं गया। उसने श्रीकृष्ण से पूछा कि केशव, जब मेरे प्रहार कर्ण के रथ पर लगते हैं तो उसका रथ बहुत पीछे खिसक जाता है, जबिक उसके प्रहारों से मेरा रथ थोड़ा सा पीछे ही खिसकता है। मेरे बाणों की अपेक्षा कर्ण के बाण बहुत कमजोर हैं, फिर भी आप उसकी प्रशंसा कर रहे हैं, ऐसा क्यों?
श्रीकृष्ण ने कहा कि तुम्हारे रथ पर मैं हूं, ऊपर ध्वज पर हनुमान जी हैं, रथ के पहियों को स्वयं शेषनाग ने थाम रखा है, फिर भी कर्ण के तीर से ये रथ थोड़ा सा भी पीछे खिसकता है तो ये बड़ी बात है। कर्ण के प्रहार कमजोर नहीं हैं। ये बात सुनकर अर्जुन का अहंकार टूट गया।
श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सीख दी कि हमें कभी भी अपनी शक्ति का घमंड नहीं करना चाहिए और शत्रु को कभी भी छोटा नहीं समझना चाहिए।