सीख; जब श्रीराम और लक्ष्मण देवी सीता की खोज कर रहे थे, उसी समय शिव जी और देवी सती ने श्रीराम को सीता की याद में रोते हुए देखा, शिव जी ने राम को दूर से ही प्रणाम किया और सती से कहा, ‘तुम भी……
रामायण में रावण ने सीता जी का हरण कर लिया था। उसके बाद श्रीराम और लक्ष्मण सीता की खोज में भटक रहे थे। उस समय शिव जी और देवी सती ने श्रीराम को सीता की याद में रोते हुए देखा। शिव जी ने राम को दूर से ही प्रणाम किया और सती से कहा, ‘तुम भी राम को प्रणाम करो।’
देवी सती ने कहा, ‘राम तो पत्नी की याद में रो रहे हैं, ये भगवान कैसे हो सकते हैं? मैं तो पहले इनकी परीक्षा लूंगी।’
शिव जी ने समझाया कि ये सब राम की लीला है। उन पर संदेह मत करो, लेकिन सती नहीं मानी और राम जी की परीक्षा लेने के लिए उनके सामने पहुंच गईं।
सती ने सीता का रूप धारण किया था। राम जी सीता के रूप में देवी सती को पहचान गए और प्रणाम करके कहा, ‘महादेव कहां हैं?’
ये सुनकर सती को समझ आ गया कि ये भगवान ही हैं। देवी लज्जित होकर शिव जी के पास लौट आईं। सती ने सोचा कि मैंने परीक्षा तो ले ली, लेकिन राम ने मुझे पहचान लिया।
देवी सती ने शिव जी से झूठ बोल दिया, ‘मैंने राम की परीक्षा नहीं ली, आपकी तरह ही दूर से प्रणाम करके आ गई हूं।’
जैसे ही सती माता ने कहा कि मैं प्रणाम करके आ गई हूं तो शिव जी चौंक गए। शिव जी जानते थे कि मेरी पत्नी इतनी जिद्दी है कि ये ऐसी ही प्रणाम करने वाली नहीं है। शिव जी ने आंखें बंद कीं, ध्यान लगाया तो उन्हें मालूम हो गया कि सती ने सीता बनकर राम की परीक्षा ली है। इसके बाद शिव जी ने सती का मानसिक त्याग कर दिया था।
सीख
पति-पत्नी के बीच में झूठ, गुस्सा, अहंकार और धोखे जैसी बातें नहीं होनी चाहिए। इनकी वजह से वैवाहिक जीवन बर्बाद हो जाता है। पति-पत्नी का रिश्ता दूध और पानी की तरह होता है। दूध में कितना पानी मिलाया, पानी में कितना दूध मिलाया, ये एकदम से मालूम नहीं होता है, लेकिन दूध-पानी में खटाई डाल दी जाए तो दूध और पानी अलग हो जाते हैं। पति-पत्नी के रिश्ते में झूठ, गुस्सा, घमंड और धोखा खटाई की तरह हैं। इनकी वजह से रिश्ता टूट सकता है।