सीख; ताड़का ने अपने परिजनों के साथ मिलकर ऋषि-मुनियों को तंग करना शुरू कर दिया, तब अगस्त्य ऋषि के शाप से ताड़का राक्षसी हो गई, ताड़का के दो पुत्र – सुबाहु और मारीच, वे भी…….
प्रभु राम ने 14 वर्ष के वनवास के दौरान कई राक्षसों का संहार किया और ऋषि-मुनियों समेत सभी लोगों को उनके आतंक से बचाया. ऋषि-मुनियों पर इस तरह आतंक करने वालों में राक्षसी ताड़का भी शामिल थी. जिसका भगवान राम ने वध किया और फिर ताड़का के पुत्र के कारण ही रावण माता सीता का हरण कर पाया.
यक्ष की पुत्री श्राप के कारण बनी राक्षसी
पौराणिक कथाओं के अनुसार सुकेतु नाम का एक यक्ष था. उसकी संतान नहीं थी, संतान प्राप्ति के लिए उसने ब्रह्मा जी की कठोर तपस्या की. ब्रह्मा जी प्रसन्न हुए और उन्होंने यक्ष सुकेतु को संतान प्राप्ति का वरदान दिया. कुछ समय बाद सुकेतु यक्ष के यहां ताड़का का जन्म हुआ. वरदान के चलते ताड़का के शरीर में हजार हाथियों जितना बल था. इस कारण सुकेतु यक्ष ने अपनी पुत्री ताड़का का विवाह सुंद नाम के दैत्य से कर दिया. इसके बाद ताड़का दैत्यों की तरह व्यवहार करने लगी.
ताड़का ने अपने परिजनों के साथ मिलकर ऋषि-मुनियों को तंग करना शुरू कर दिया. तब अगस्त्य ऋषि के शाप से ताड़का राक्षसी हो गई. ताड़का के दो पुत्र – सुबाहु और मारीच. वे भी राक्षसी प्रवृत्तियों में लिप्त रहते थे. ताड़का का परिवार अयोध्या के पास एक जंगल में रहता था. राक्षसों के आतंक से नाराज अगस्त्य ऋषि ने सुंद को भस्म कर दिया. जब ताड़का को अपने पति की मृत्यु का पता चला तो वह अगस्त्य ऋषि से बदला लेने गई. इस पर अगस्त्य ऋषि ने भगवान विश्वामित्र से सहायता मांगी. तब विश्वामित्र के शिष्यों राम और लक्ष्मण ने मिलकर ताड़का का संहार किया था.
ताड़का का पुत्र मारीच बना था मायावी हिरण
अयोध्या के दोनों राजकुमारों राम और लक्ष्मण ने ताड़का के परिवार का अंत कर दिया. लेकिन मारीच बच निकला और लंका जा पहुंचा. वह राम से प्रतिशोध लेना चाहता था. तब रावण ने मारीच की मायावी ताकत की मदद ली और सीता-हरण किया. मारीच ही सोने का हिरण बना था, जिसे देखकर माता सीता मोहित हो गईं थीं और प्रभु राम को उसे लेने के लिए भेज दिया था. भगवान राम के देर तक ना लौटने पर भाई लक्ष्मण उन्हें ढूंढने निकले और तभी रावण ने सीता का हरण कर लिया था.