सीख; परशुराम जी ने जैसे ही देखा कि धनुष टूटा हुआ है तो वे क्रोधित हो गए, सभी राजा अपना, अपने पिता का और वंश का नाम बोलकर परशुराम जी को प्रणाम करके पीछे हट गए, परशुराम जी ने गुस्से में…….
रामायण में सीता जी के स्वयंवर से जुड़ा किस्सा है। श्रीराम ने धनुष उठाकर प्रत्यंचा चढ़ाने की कोशिश की तो धनुष टूट गया था। इसके बाद स्वयंवर के सभागार में परशुराम जी का आगमन हुआ तो वहां मौजूद सभी राजा डर गए थे।
परशुराम जी ने जैसे ही देखा कि धनुष टूटा हुआ है तो वे क्रोधित हो गए। सभी राजा अपना, अपने पिता का और वंश का नाम बोलकर परशुराम जी को प्रणाम करके पीछे हट गए। परशुराम जी ने गुस्से में कहा, ‘जिस व्यक्ति ने ये धनुष तोड़ा है, मैं उसे जीवित नहीं छोड़ूंगा।’
वहां मौजूद राजा आपस में बातें करने लगे कि हम तो बच गए। अब देखते हैं, इन दो राजकुमारों के साथ क्या होता है। लक्ष्मण आगे आ गए। लक्ष्मण क्रोधी के स्वभाव के थे तो उनकी परशुराम जी के साथ बहस होने लगी। तब श्रीराम इन दोनों के बीच आए और इन्हें शांत किया।
ये पूरा घटनाक्रम दरबार में उपस्थित लोग बहुत ध्यान से देख रहे थे। परशुराम जी से सभी डरते थे। श्रीराम भी सोच रहे थे कि मैं आज सार्वजनिक रूप से पहली बार इतने बड़े व्यक्ति के सामने आया हूं तो मेरा इनके साथ अच्छा वार्तालाप हो जाए तो सभी राजाओं को संदेश मिल जाएगा कि एक नई शक्ति राम के रूप में आ गई है।
परशुराम पहले तो श्रीराम पर गुस्सा हुए, लेकिन फिर बाद में उन्होंने कहा, ‘अगर तुम इतने समर्थ हो तो मेरे शस्त्रों को चला कर बताओ।’
परशुराम कुछ और कहते इससे पहले ही उनका फरसा और धनुष खुद ही श्रीराम के पास पहुंच गए। ये देखकर परशुराम समझ गए कि राम अवतार हो चुका है और जो काम मैंने अधूरे छोड़े हैं, वे काम राम पूरे करेंगे। जो परशुराम गरज रहे थे, वे तुरंत ही विनम्र हो गए। उन्होंने प्रणाम करते हुए दोनों भाइयों से कहा, ‘आप दोनों क्षमा के मंदिर है, कृपा करके मुझे क्षमा करें।’
क्षमा मांगकर परशुराम वहां से चले गए।
सीख
परशुराम जी ने यहां हमें एक संदेश दिया है कि जब हमारा लक्ष्य पूरा हो जाए तो उसकी वजह से अहंकार न करें। अगर कोई दूसरा व्यक्ति हमसे अच्छा काम कर रहा है तो उसे करने दें। परशुराम ने श्रीराम से क्षमा मांगकर हमें संदेश दिया है कि दुनिया में सबसे बड़ा कोई और है और उसके सामने झुकना बड़प्पन ही है।