सीख; बुद्ध की बात सुनकर शिष्य झरने की चल दिया, कुछ ही देर में शिष्य झरने के पास पहुंच गया, उसने वहां देखा कि पानी में से एक बैलगाड़ी गुजर रही है, पहियों की वजह………
बुद्ध के विचार और उनसे जुड़े किस्सों में छिपे जीवन प्रबंधन के सूत्रों को अपना लिया जाए तो कई समस्याएं दूर हो सकती हैं। बुद्ध ने कई किस्सों में संदेश दिया है कि समस्याओं को कैसे सुलझा सकते हैं। जानिए ऐसा ही एक किस्सा, जिसमें बुद्ध ने धैर्य का महत्व बताया है…
गौतम बुद्ध अपने शिष्यों के साथ यात्रा करते रहते थे। एक बार वे यात्रा करते हुए किसी जंगल में पहुंचे। थकान और प्यास की वजह से बुद्ध एक जगह आराम करने के लिए रुक गए। उन्होंने अपने शिष्य से कहा कि उन्हें प्यास लगी है, पास में ही एक झरने की आवाज आ रही है, वहां से पीने का पानी मिल जाए तो लेकर आओ।
बुद्ध की बात सुनकर शिष्य झरने की चल दिया। कुछ ही देर में शिष्य झरने के पास पहुंच गया। उसने वहां देखा कि पानी में से एक बैलगाड़ी गुजर रही है। पहियों की वजह से पानी बहुत गंदा हो गया। नीचे की मिट्टी ऊपर दिखने लगी है। शिष्य गंदा पानी देखकर बुद्ध के पास लौट आया।
शिष्य ने बुद्ध से कहा कि तथागत, पास ही में झरना तो है, लेकिन एक बैलगाड़ी वहां से गुजरी है, जिसकी की वजह से पानी बहुत गंदा हो गया है, पीने योग्य नहीं है।
बुद्ध ने शिष्य से कहा कि कुछ देर बाद तुम फिर से जाना, इस बार तुम्हें पानी अच्छा मिल जाएगा। बुद्ध की बात मानकर कुछ देर बाद शिष्य फिर से झरने के पास पहुंच गया। इस बार पानी की हलचल शांत हो गई थी, सारी गंदगी नीचे बैठी हुई थी। पानी एकदम साफ था।
शिष्य ने तुरंत अपने मिट्टी के बर्तन में पानी भरा और बुद्ध के पास लौट आया।
गौतम बुद्ध की सीख
बुद्ध ने पानी पीया और शिष्य को समझाया कि बैलगाड़ी की वजह से पानी गंदा हो गया था। कुछ देर में पानी की गंदगी नीचे बैठ गई और पानी साफ हो गया। जीवन में भी कई बार ऐसा ही होता है। जीवन में कई समस्याएं एक साथ आ जाती हैं। मन अशांत हो जाता है, ऐसी स्थिति में हमें कुछ समय धैर्य रखना चाहिए। धैर्य रखेंगे तो बड़ी-बड़ी समस्याओं को दूर किया जा सकता है। विपरीत हालातों में मन को नियंत्रित करने के लिए धैर्य मदद करता है। जिन लोगों को मेडिटेशन का अभ्यास है, वे मन को बहुत जल्दी शांत कर सकते हैं। धैर्य से बुरे समय से निपटा जा सकता है। हमें नियमित रूप से ध्यान करने की आदत बनानी चाहिए।