सीख; बुद्ध ने कहा कि आज के प्रवचन में संन्यासियों के अलावा एक वेश्या और एक चोर भी आया था, कल सुबह तुम इन तीनों संन्यासी, वेश्या और चोर से पूछना कि कल सभा में बुद्ध ने जो आखिरी वचन…….

बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध के जीवन के कई ऐसे प्रेरक प्रसंग है, जो हमें सुखी और सफल जीवन का रास्ता बताते हैं। यहां जानिए एक ऐसा प्रसंग जिसमें ये बताया गया है कि सभी लोगों की सोचने और समझने की क्षमता अलग-अलग होती है। सभी का दिमाग अलग होता है, इसीलिए एक ही बात को सभी लोग अपने-अपने हिसाब से समझते हैं।

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> भगवान बुद्ध हर बात को तीन बार समझाते थे। एक दिन आनंद ने बुद्ध से पूछा कि आप एक ही बात को तीन बार क्यों बोलते हैं? बुद्ध ने कहा कि आज के प्रवचन में संन्यासियों के अलावा एक वेश्या और एक चोर भी आया था। कल सुबह तुम इन तीनों संन्यासी, वेश्या और चोर से पूछना कि कल सभा में बुद्ध ने जो आखिरी वचन कहे उनसे वो क्या समझे?

> अगले दिन सुबह होते ही आनंद ने जो पहला संन्यासी दिखा उससे पूछा कि कल रात तथागत ने जो आखिरी वचन कहे थे कि अपना-अपना काम करो, उन शब्दों से आपने क्या समझा?

> संन्यासी बोला कि हमारा दैनिक कर्म है कि ध्यान करना है, हमें ध्यान ही करना चाहिए। आनंद को उससे इसी उत्तर की अपेक्षा थी। अब वो नगर की ओर तेजी से चल दिया।

> आनंद उस चोर के घर पहुंचा, जो बुद्ध के प्रवचन में आया था। चोर से भी आनंद ने वही सवाल पूछा। चोर ने कहा कि मेरा काम तो चोरी करना है। कल रात मैंने इतना तगड़ा हाथ मारा कि अब मुझे चोरी नहीं करनी पड़ेगी। आनंद को बड़ा आश्चर्य हुआ और वो वहां से वेश्या के घर की तरफ चल दिया।

> वेश्या के घर पहुंचते ही आनंद ने वही सवाल पूछा। वेश्या ने कहा कि मेरा काम तो नाचना गाना है। कल भी मैंने वही किया। आनंद आश्चर्यचकित हो कर वहां से लौट गया। आनंद ने पूरी बात बुद्ध को बताई।

बुद्ध बोले कि इस संसार में जितने प्राणी हैं, उतने ही दिमाग हैं। बात तो एक ही होती है, लेकिन हर आदमी अपनी समझ के हिसाब से उसके मतलब निकाल लेता है। इसका कोई उपाय नहीं है। ये सृष्टि ही ऐसी है।

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