सीख; मयासुर ने अर्जुन से कहा कि आपने इस भयंकर आग से मेरी रक्षा की है, आपने हम पर ये उपकार किया है, वन की आग से मुझे बचाया है, अब आप बताइए मैं आपके लिए इस उपकार के बदले क्या……..

महाभारत के समय की घटना है। एक दिन अर्जुन के कारण खांडव वन में आग लग गई। उस वन में मयासुर नाम का राक्षस रह रहा था। आग लगी तो मयासुर भी जलने वाला था, लेकिन अर्जुन ने उसे बचा लिया।

मयासुर के प्राण बच गए तो उसने अर्जुन से कहा कि आपने इस भयंकर आग से मेरी रक्षा की है, आपने हम पर ये उपकार किया है। वन की आग से मुझे बचाया है। अब आप बताइए मैं आपके लिए इस उपकार के बदले क्या कर सकता हूं?

अर्जुन ने मयासुर की बातें सुनी और कहा कि आपने इतना कह दिया है, वही बहुत है। मुझे आपसे कुछ नहीं चाहिए, बस ऐसे ही प्रेम बनाए रखें।

मयासुर ने अपना परिचय देते हुए कहा कि मैं असुरों का विश्वकर्मा हूं। शिल्प विद्या में पारंगत हूं, मैं बड़े-बड़े भवन, महल आसानी से बना देता है। आप मुझे कोई न कोई काम जरूर बताएं।

अर्जुन ने कहा कि मुझे तो कुछ नहीं चाहिए, लेकिन आप श्रीकृष्ण से भी एक बार पूछ लें। इतना कहकर अर्जुन ने सोचा कि श्रीकृष्ण भी मयासुर को मना कर देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

श्रीकृष्ण ने मयासुर से कहा कि तुम एक काम करो। पांडवों के बड़े भाई धर्मराज युधिष्ठिर के लिए एक बहुत बड़ा सभा भवन बनाओ। भवन बहुत सुंदर और भव्य होना चाहिए, जिसे देखकर सभी हैरान हो जाए।

श्रीकृष्ण से काम मिलने के बाद मयासुर ने बहुत ही कम समय में ऐसा भवन बना दिया, जैसा श्रीकृष्ण और युधिष्ठिर चाहते थे। बाद में उस भवन की वजह से सभी को पांडवों की शक्ति का अंदाजा हो गया था और पांडवों को रहने के लिए सुंदर महल मिल गया।

अर्जुन को समझ आ गया कि श्रीकृष्ण जो काम करते हैं, वह पुरानी बातों से सीख लेकर और बहुत सोच-समझकर ही करते हैं। अर्जुन ने तो मयासुर को मना ही कर दिया था, लेकिन श्रीकृष्ण ने मयासुर को सुंदर भवन बनाने का काम सौंप दिया, जिससे पांडवों को बहुत लाभ मिला।

श्रीकृष्ण की सीख

श्रीकृष्ण ने संदेश दिया है कि कोई जब भी कोई अवसर मिले तो जल्दबाजी में, बिना सोच-समझे कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए। बीते समय को ध्यान में रखते हुए, वर्तमान में ऐसे काम करें, जिनसे भविष्य में लाभ मिल सके।

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