सीख; माता सती के पिता प्रजापति दक्ष शिव जी पसंद नहीं करते थे, क्योंकि शिव जी ने ब्रह्मा जी का पांच में से एक सिर काट दिया था, अपने पिता ब्रह्मा जी के साथ हुई इस घटना की वजह से दक्ष शिव जी को अपमानित……..
वीरभद्र अवतार शिव जी के क्रोध से प्रकट हुआ था। शिव जी की आज्ञा से वीरभद्र ने दक्ष प्रजापति के यज्ञ को खत्म कर दिया था और दक्ष का सिर काट दिया था। आज जानिए शिव जी के अवतार वीरभद्र से जुड़ी कथा…
शिवजी और माता सती से जुड़ी कथा है। ये कथा श्रीमद् देवी भागवत, शक्तिपीठांक सहित कई ग्रंथों में भी है। माता सती के पिता प्रजापति दक्ष शिव जी पसंद नहीं करते थे, क्योंकि शिव जी ब्रह्मा जी का पांच में से एक सिर काट दिया था। अपने पिता ब्रह्मा जी के साथ हुई इस घटना की वजह से दक्ष शिव जी को अपमानित करने के अलग-अलग अवसर खोजते रहते थे।
दक्ष की पुत्री सती ने भगवान शिव से विवाह कर लिया था और दक्ष इस विवाह को रोक नहीं सके। विवाह के कुछ समय बाद दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया और इस यज्ञ में सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया, लेकिन शिव और सती को आमंत्रित नहीं किया।
माता सती को नारद से मालूम हुआ कि उनके पिता दक्ष यज्ञ करवा रहे हैं। सती इस यज्ञ में जाने के लिए तैयार हो गईं। शिव जी ने देवी सती को समझाया कि बिना बुलाए हमें यज्ञ जैसे आयोजन में नहीं जाना चाहिए, लेकिन शिव जी के समझाने पर भी देवी नहीं मानीं और यज्ञ में चली गईं।
जब सती यज्ञ स्थल पर पहुंची तो उन्होंने देखा कि यज्ञ में शिव जी के अतिरिक्त सभी देवी-देवता आए हुए हैं। सती ने पिता दक्ष से शिव जी को न बुलाने का कारण पूछा तो दक्ष ने शिव जी के लिए अपमानजनक बातें कहना शुरू कर दीं।
शिव जी का अपमान सती सहन नहीं कर सकीं और उन्होंने हवन कुंड में कूदकर अपनी देह त्याग दी। जब ये बात शिव जी को मालूम हुई तो वे बहुत क्रोधित हो गए। शिव जी के क्रोध से वीरभद्र प्रकट हुए। इसके बाद शिव जी के कहने पर वीरभद्र ने यज्ञ स्थल को उजाड़ दिया और दक्ष का सिर काट दिया।
जीवन प्रबंधन
इस कथा से हमें दो संदेश मिल रहे हैं। पहला, बिन बुलाए किसी के घर न जाएं। दूसरा, कभी भी किसी महिला के सामने उसके पति की बुराई न करें।