सीख; युधिष्ठिर के बात सुनकर भीष्म बहुत खुश हुए और उन्होंने कहा कि आज अगर तुमने मुझसे अनुमति लिए बिना युद्ध शुरू कर दिया होता तो मैं नाराज हो जाता है, लेकिन तुम्हारी इस बात से……

लक्ष्य बड़ा हो या छोटा, काम शुरू करने से पहले घर के बड़े लोगों की अनुमति जरूर लेनी चाहिए। तभी कामयाबी मिलती है। बड़ों का आशीर्वाद हमें मुश्किलों से लड़ने का साहस देता है और हम सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ पाते हैं। महाभारत में युद्ध शुरू करने से पहले युधिष्ठिर ने भीष्म पितामह की आज्ञा ली थी।

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महाभारत युद्ध का पहला दिन था। कौरवों और पांडवों की विशाल सेनाएं आमने-सामने खड़ी थीं। उस समय युधिष्ठिर ने अचानक अपने अस्त्र-शस्त्र रथ पर रख दिए और रथ से उतर कर पैदल ही भीष्म पितामह की ओर चल दिए।

जब युधिष्ठिर कौरव सेना के सेनापति भीष्म की जा रहे थे तो सभी पांडवों को ऐसा लगने लगा कि कहीं भैया कौरवों के सामने समर्पण न कर दें। इसी डर की वजह से भीम और अर्जुन ने श्रीकृष्ण से कहा था कि आप भैया को रोकिए, कहीं वे समर्पण न कर दें।

दूसरी ओर कौरव सेना में भी यही बातें होने लगीं कि युधिष्ठिर डर गए हैं और समर्पण करने आ रहे हैं।

पांडव पक्ष से श्रीकृष्ण ने कहा कि आप सभी चिंता न करें, धैर्य रखें। जो हो रहा है, उसे शांति से देखें।

थोड़ी ही देर बाद युधिष्ठिर भीष्म पितामह के सामने पहुंच गए। युधिष्ठिर हाथ जोड़कर खड़े थे। जो लोग दूर से देख रहे थे, उन्हें ये लग रहा था कि युधिष्ठिर ने समर्पण कर रहे हैं, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं था। दरअसल, युधिष्ठिर हाथ जोड़कर भीष्म पितामह से युद्ध शुरू करने की आज्ञा मांग रहे थे। उन्होंने भीष्म से कहा था कि पितामह आज्ञा दें, ताकि हम आपसे युद्ध कर सके।

युधिष्ठिर के ये बात सुनकर भीष्म बहुत खुश हुए और उन्होंने कहा कि आज अगर तुमने मुझसे अनुमति लिए बिना युद्ध शुरू कर दिया होता तो मैं नाराज हो जाता है, लेकिन तुम्हारी इस बात से मैं बहुत खुश हूं। मैं तुम्हें विजय श्री का आशीर्वाद देता हूं।

इधर श्रीकृष्ण ने पांडवों को समझाया कि शास्त्रों में लिखा है कि हम जब भी कोई बड़ा काम करते हैं तो सबसे पहले घर के बड़ों का आशीर्वाद जरूर लेना चाहिए। काम शुरू करने से पहले उनकी अनुमति जरूर लें।

कौरव पक्ष में खड़े युधिष्ठिर ने भीष्म के बाद गुरु द्रोणाचार्य से युद्ध शुरू करने की अनुमति मांगी थी। द्रोणाचार्य ने भी प्रसन्न होकर कहा था कि मैं तुम्हें आशीर्वाद देता हूं कि तुम्हारी जय हो।

प्रसंग की सीख

इस किस्से की सीख यह है कि हमें काम शुरू करने से पहले घर के बड़े लोगों से आशीर्वाद और अनुमति जरूर लेनी चाहिए। ऐसा करने से साहस बढ़ता है और हम आसानी से सफलता हासिल कर पाते हैं।

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