सीख; रामायण में सीता जी का स्वयंवर हो रहा था, स्वयंवर शर्त पूरी करने के लिए श्रीराम ने धनुष उठाया और उसकी प्रत्यंचा चढ़ाने लगे तभी धनुष टूट गया, इसके बाद स्वयंवर में परशुराम जी पहुंच गए, परशुराम जी…….
परशुराम जी भगवान विष्णु के अवतार हैं और अजर-अमर हैं यानी हमेशा जीवित रहेंगे। रामायण और महाभारत में परशुराम का जिक्र है। रामायण में परशुराम जी और श्रीराम की भेंट हुई थी, उस समय परशुराम गुस्से में थे और श्रीराम ने उनका गुस्सा शांत किया था। जानिए ये किस्सा…
रामायण में सीता जी का स्वयंवर हो रहा था। स्वयंवर शर्त पूरी करने के लिए श्रीराम ने धनुष उठाया और उसकी प्रत्यंचा चढ़ाने लगे तभी धनुष टूट गया। इसके बाद स्वयंवर में परशुराम जी पहुंच गए। परशुराम जी को देखकर स्वयंवर में मौजूद सभी राजा डर गए।
परशुराम जी ने देखा कि धनुष टूटा हुआ है तो वे गुस्सा हो गए और उन्होंने घोषणा कर दी कि जिस व्यक्ति ने ये धनुष तोड़ा है, मैं उसे जीवित नहीं छोड़ूंगा।
स्वयंवर में बैठे हुए राजा आपस में बातें करने लगे कि अब ये दो राजकुमार (राम और लक्ष्मण) नहीं बचेंगे। परशुराम को गुस्से में देखकर लक्ष्मण आगे आए। लक्ष्मण भी गुस्सा हो गए। दोनों की बहस होने लगी। तब श्रीराम ने दोनों की शांत किया।
परशुराम जी से सभी डरते थे। पूरा दरबार मौन था। परशुराम जी ने श्रीराम से कहा कि अगर तुम इतने समर्थ हो तो मेरे शस्त्रों को चला कर बताओ।
परशुराम कुछ और कहते इससे पहले ही उनका फरसा और धनुष खुद ही श्रीराम के पास पहुंच गए। श्रीराम का शांत स्वभाव और उनके पास अपने धनुष-फरसे को देखकर परशुराम समझ गए कि राम अवतार हो चुका है। अब मेरे अधूरे काम राम पूरे करेंगे, अधर्म का नाश करके, धर्म की स्थापना करेंगे। इस घटना के बाद परशुराम बिल्कुल शांत हो गए और वहां से चले गए।
प्रसंग की सीख
श्रीराम ने परशुराम जी को अपना सामार्थ्य बता दिया था, लेकिन फिर भी वे शांत रहे, अहंकार नहीं किया। परशुराम जी को भी जब समझ आ गया कि राम अवतार हो चुका है तो वे शांत होकर लौट गए। परशुराम जी ने संदेश दिया है कि जब कोई हमसे अच्छा काम कर रहा हो तो हमें उसे वह काम करने देना चाहिए।