सीख; रावण की सभा में इंद्र, कुबेर, यम सभी देवता सिर नीचे झुका कर खड़े रहते थे, उसकी अनुमति के बिना कोई बोल नहीं सकता था, श्रीराम ने युद्ध से कुछ देर पहले सोचा कि रावण को समझाने के लिए एक बार और प्रयास किया जाए……..

रावण विश्व विजेता था और उसकी सभा में इंद्र, कुबेर, यम सभी देवता सिर नीचे झुका कर खड़े रहते थे। रावण की अनुमति के बिना कोई बोल नहीं सकता था।

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श्रीराम और रावण के बीच युद्ध शुरू होने ही वाला था। श्रीराम ने युद्ध से कुछ देर पहले सोचा कि रावण को समझाने के लिए एक बार और प्रयास किया जाए। इस बार रावण को समझाने के लिए अंगद को दूत बनाकर रावण की सभा में भेजा गया।

अंगद और रावण की बातचीत शुरू हुई। अंगद के पिता बालि को रावण जानता था, लेकिन रावण अभिनय करने में माहिर था तो वह अभिनय कर रहा था कि वह कुछ जानता ही नहीं है। अंगद ने परिचय दिया कि वह बालि का बेटा है और आप बालि को जानते हैं, लेकिन रावण ये बात मानने को तैयार नहीं था, क्योंकि उसे अपनी सभा में अहंकार का प्रदर्शन करना था।

रावण ने गुस्से में अंगद से कहा, ‘तू तेरे पिता को ही खा गया।’

अंगद ने कहा, ‘ठीक है फिर, अब मैं तुझे खाऊंगा।’

अंगद ने सोचा कि रावण भरी सभा में झूठी शान दिखा रहे है, इसे कुछ ऐसी बातें याद दिलानी चाहिए कि इसका आत्मविश्वास ही कमजोर हो जाए और पूरी सभा को भी ये बातें मालूम हो जाए।

अंगद ने कहा, ‘मैंने तीन तरह के रावण के बारे में सुना हुआ है। राजा बलि को जीतने एक रावण पाताल गया था तो बलि के यहां बच्चों ने उस रावण को घुड़साल में बांध दिया था। बच्चे रावण के साथ खेलते थे। राजा बलि को दया आई तो रावण को छोड़ दिया। दूसरा रावण वो था, जिसे सहस्त्रबाहु ने पकड़ लिया था और मनोरंजन के लिए अपने घर ले गया था। तीसरा रावण वो था, जिसे बालि ने अपनी बगल में दबा लिया था और मैं उसी बालि का बेटा हूं। बचपन में मैं तुझे खिलौना समझकर खेला हूं। तू कौन सा रावण है?’

ये बातें सुनकर रावण चिढ़ गया और सभा में बैठे सभी लोगों को भी रावण की असलियत मालूम हो गई। सभी समझ गए कि अंगद बहुत प्रभावशाली व्यक्ति है और सच में रामदूत है।

सीख

अंगद इस कहानी में हमें ये समझा रहे हैं कि अगर हमें किसी अहंकारी व्यक्ति के सामने जाना है तो पूरी तैयारी के साथ जाना चाहिए। अगर कोई अहंकार का प्रदर्शन कर रहा हो तो हमारा होमवर्क इतना तगड़ा होना चाहिए कि हम उसे कुछ ऐसी बातें याद दिलाएं जो उसकी कमजोरियां हैं, गलतियां हैं। अहंकारी को उसकी गलतियां और कमजोरियां याद दिलाते हैं तो उसका अहंकार खत्म हो जाता है।

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